सार

Afganistan में तालिबानियों की हिंसा से सैकड़ों लोग पलायन कर चुके हैं। मंगलवार को काबुल से 78 भारतीयों के साथ तीन गुरु ग्रंथ भी भारत लाए गए। दिल्ली एयरपोर्ट पर उन्हें लेने केंद्रीय मंत्री भी पहुंचे।

नई दिल्ली. ये तस्वीरें Afganistan में धर्म के नाम पर आतंक पैदा करने वाले Taliban को एक मैसेज देती हैं कि अहिंसा परमो धर्म(Ahimsa Parmo Dharm)। धर्म कभी हिंसा नहीं सिखाता। धर्म को सिर सम्मानस्वरूप सिर पर रखना चाहिए, लेकिन अगर धर्म सिर पर चढ़कर बोलने लगे; तो मानवीयत खो देता है।

 pic.twitter.com/91iX91hfR7

काबुल से भारत लाए गए तीन गुरु ग्रंथ साहिब
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से वहां रहने वाले भारतीय पलायन कर रहे हैं। उन्हें भारत लाने का सिलसिला लगातार जारी है। मंगलवार को 78 लोगों को लेकर एयर इंडिया का AI-1956 विमान तजाकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे से दिल्ली पहुंचा। इनमें 25 भारतीय नागरिक और 46 अफगानी सिख भी शामिल हैं। इसी विमान से काबुल के गुरुद्वारों से निकाले गए तीन गुरु ग्रंथ साहिब भी लाए गए हैं। इन पवित्र गुरु ग्रंथों को लेने दिल्ली एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, वी मुरलीधरन और BJP नेता आरपी सिंह भी पहुंचे। वे गुरु ग्रंथ साहिब को सिर पर रखकर आदरपूर्वक एयरपोर्ट से बाहर लाए। गुरु ग्रंथ साहिब की इन प्रतियों को नगर-कीर्तन के साथ दिल्ली के एक गुरुद्वारे में ले जाकर रखा जाएगा। इसके लिए खास पालके साहिब भी तैयार किए जा रहे हैं।

pic.twitter.com/dMalyCkMEQ

गनी की हत्या की साजिश रची गई थी
इस बीच अफगानिस्तान छोड़कर भागे पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने एक सनसनीखेज दावा किया है। गनी के भाई हशमत गनी ने अंग्रेजी न्यूज चैनल WION से बातचीत में ये दावा किया कि गनी की हत्या की साजिश रची थी। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह साजिश तालिबान ने रची थी या किसी और ने।

यह भी पढ़ें-अफगानिस्तान में Taliban के बारे में सबकुछ कह देती है ये तस्वीर, पंजशीर में 70 साल के बूढ़ों ने भी उठाई बंदूक

G-7  ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग
अफगान की मौजूदा स्थिति पर विचार-विमर्श करने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को G-7 की इमरजेंसी बैठक बुलाई है। बता दें कि अमेरिका ने कहा है कि वो 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से अपनी सेना हटा लेगा। इस मीटिंग में इस पर चर्चा हो सकती है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) भी मंगलवार को जिनेवा में विशेष सत्र आयोजित कर रहा है। इसका 47 सदस्य देशों में से 29 ने  समर्थन किया है।

यह भी पढ़ें-Opinion: अफगानिस्तान में तालिबान जो कुछ कर रहा है; वो UN जैसी संस्था के लिए शर्म की बात  

तालिबान को लेकर चीन का साफ्ट रुख
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की एंट्री के बाद से ही बदली राजनीतिक सत्ता को लेकर चीन का रूख काफी सॉफ्ट दिखा है। चीन ने सोमवार को संकेत दिए हैं कि तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान को वित्तीय सहायता देगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वॉग वेनबिन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि वो अफगान संकट के लिए वो ही मुख्य गुनहगार है और अब वो अफगानिस्तान के पुनर्निमाण के लिए कुछ किए बगैर उसे इस हाल में छोड़कर नहीं जा सकता। पिछले दिनों अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर में बताया गया था कि अफगानिस्तान में अभियान खत्म होने के बावजूद अफगान सेंट्रल बैंक से जुड़े अरबों डॉलर रकम पर अमेरिका का नियंत्रण है।

यह भी पढ़ें-Taliban is Back: चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना, अफगानिस्तान छोड़ते लाचार कदम-मायूस बचपन