जलसंकट से निजात का गडकरी का अनोखा फार्मूला: सड़कों के लिए मिट्टी निकाल झील-कुएं व तालाब बनाए जा सकते

नितिन गडकरी ने अपने एनएचएआई के एक प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे राष्ट्रीय राजमार्ग अर्थारिटी के प्रोजेक्ट में सहयोग करके एक विश्वविद्यालय को कम लागत में 36 झीलें मिल गई और गांव में 22 कुएं का निर्माण हो सका। उन्होंने कहा कि इनोवेशन की वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट या लागत में कमी लाई जा सकती है।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 8, 2022 12:07 PM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सुझाव दिया है कि राजमार्गों (National Highways) के निर्माण से पानी की समस्या का भी समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) बनाए जा रहे हैं, उन मार्गों या लोकेशन्स के आसपास झीलों या तालाबों का भी निर्माण कराया जा सकता है। सड़क के निर्माण में मिट्टी की जरुरत होती है और झीलों व तालाबों के लिए मिट्टी निकालना पड़ता है। दोनों परियोजनाओं को एक साथ प्लानिंग करके अमल में लाया जाएगा तो तमाम क्षेत्रों में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा ही जल संकट का भी समाधान मिल जाएगा। 

अमृत सरोवर योजना पर काम कर सकता है सड़क मंत्रालय

भारत माला सीरीज के तहत मंथन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि उनका मंत्रालय देश के कुछ हिस्सों में पानी की समस्या का समाधान कर सकता है। आप सभी जानते हैं कि केंद्र 'अमृत सरोवर' योजना लेकर आया है। इस योजना में सहयोग कर सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय पानी की समस्या को दूर करने में बहुत अच्छा काम कर सकता है।

मंत्रालयों को समन्वय बनाकर काम करना होगा

नितिन गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने मिशन अमृत सरोवर योजना की शुरुआत की थी। आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे देश में अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जा रहा है। जल संकट के समाधान के लिए लागू किए गए इस प्रोजेक्ट में सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय बड़ा सहयोग कर सकता है। वह भविष्य में जल संकट से निजात दिलाने के लिए कम लागत में झीलों व तालाबों का निर्माण करा सकते हैं। दरअसल, राजमार्ग मंत्रालय को सड़कों के निर्माण में काफी अधिक मिट्टी की आवश्यकता होती है। अगर हम प्लानिंग के तहत इन लोकेशन्स पर कुछ झीलों या तालाबों को चिंहित करें तो उसकी मिट्टी निकालकर सड़कों के निर्माण में लगा सकते हैं और इन झीलों या तालाबों का कम लागत में निर्माण व साफ-सफाई भी करवा सकते हैं।

विदर्भ क्षेत्र में जल संकट से ऐसे ही मिलेगा निजात

गडकरी ने कहा कि विदर्भ क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में हजारों किसानों ने आत्महत्या की है। यहां किसानों की बदहाली की एक वजह पानी का भी संकट है। इसी तरह तमाम जगहों पर भी जल संकट है। पानी की कहीं कोई कमी नहीं है बल्कि वाटर मैनेजमेंट असल वजह है। सही मैनेजमेंट अगर पानी की हो तो कहीं भी संकट नहीं होगा। इसके लिए हम झीलों के निर्माण के लिए अपने राजमार्गों का उपयोग कर सकते हैं। गडकरी ने कहा कि एनएच निर्माण में मिट्टी की आवश्यकता होती है। इस आवश्यकता की पूर्ति इस तरह से किया जाए ताकि नए जल निकाय बन सकें। इससे न केवल सड़क निर्माण की आवश्यकता पूरी होगी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में नई झीलें भी उपलब्ध होंगी। इस तरह से वाटर लेवल में भी बढ़ोतरी होगी। 

एक यूनिवर्सिटी को 36 झीलें व गांव को मिले 22 कुएं

नितिन गडकरी ने अपने एनएचएआई के एक प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे राष्ट्रीय राजमार्ग अर्थारिटी के प्रोजेक्ट में सहयोग करके एक विश्वविद्यालय को कम लागत में 36 झीलें मिल गई और गांव में 22 कुएं का निर्माण हो सका। उन्होंने कहा कि इनोवेशन की वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट या लागत में कमी लाई जा सकती है।

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