जब माओवादियों की 'हरकतों' से गुस्सा हुए 500 समर्थक, लगा दी उनकी 'लंका' में आग, चौंकाने वाली खबर

ये तस्वीरें ओडिशा के मलकानगिरी जिले की हैं, जहां एक-दो नहीं,बल्कि 500 से अधिक माओवादियों ने  BSF के सामने सरेंडर कर दिया। सरेंडर से पहले इन समर्थकों ने माओवादियों द्वारा बनाए नक्सलियों के कथित शहीद स्तंभ को तोड़ दिया।

मलकानगिरी. ये तस्वीरें ओडिशा के मलकानगिरी जिले की हैं, जहां एक-दो नहीं,बल्कि 500 से अधिक माओवादियों ने  BSF के सामने सरेंडर कर दिया। वे माओवादियों की विचारधारा को गलत मानने लगे थे। सरेंडर से पहले इन समर्थकों ने माओवादियों द्वारा बनाए नक्सलियों के कथित शहीद स्तंभ को तोड़ दिया। पुतले भी फूंके। यह घटना कट ऑफ इलाकों में स्थित रालेगड़ा ग्राम पंचायत में हुई, जिसे अब स्वाभिमान आंचल कहा जाता है। यह पहले माओवादियों का अड्डा था। यह क्षेत्र तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है, जबकि दूसरा पड़ोसी आंध्र प्रदेश के घने जंगल से जुड़ा है। (ये तस्वीरें ओडिशा के DGP ने tweet की हैं)

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माओवादियों को लगा तगड़ा झटका
बता दें कि 507 समर्थकों के हथियार डालने से माओवादियों को और एक बड़ा झटका लगा है। माओवादी मिलिशिया के कम से कम 150 सक्रिय सदस्यों और 327 समर्थकों ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के मालकानगिरि के एसपी और उप महानिरीक्षक के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। ये आम तौर पर निहत्थे ग्रामीण हैं। इन्हें माओवादियों के हमदर्द, मुखबिर और सहयोगी के रूप में जाना जाता था। यह ओडिशा पुलिस की 'घर वापसी' पहल का हिस्सा है।

मलकानगिरी के एसपी नितेश वाधवानी ने कहा कि हम लोगों में विश्वास पैदा कर रहे हैं कि वे विकास को गति देने के लिए पुलिस और प्रशासन से संपर्क करें। माओवादी प्रभावित गांवों को मुख्यधारा में लाया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि पड़ोसी आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सक्रिय वामपंथी उग्रवादी कट ऑफ क्षेत्र में शरण लेते थे, क्योंकि यह सुरक्षा कर्मियों के लिए लगभग दुर्गम जगह है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जुलाई 2018 में क्षेत्र में जनबाई नदी पर गुरुप्रिया पुल का उद्घाटन किया था। 2019 में 15 साल में पहली बार वहां चुनाव भी हुआ था।

माओवादियों का पुतला भी जलाया
आत्मसमर्पण करने वालों ने अपना गुस्सा जाहिर करने पुतले और माओवादी साहित्य को जलाया और माओवादी मुर्दाबाद जैसे नारे लगाए। बीएसएफ के डीआईजी एसके सिन्हा ने कहा कि इलाके में सुरक्षाकर्मियों की मजबूत मौजूदगी से लोगों में माओवादियों के खिलाफ आवाज उठाने का विश्वास पैदा हुआ है। मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लेने वाले लोगों के बीच पुलिस और बीएसएफ ने खेल किट, साड़ी-कपड़े सहित अन्य सामान बांटा। जिला प्रशासन ने उन्हें जॉब कार्ड भी दिए। एसपी नितेश वाधवानी ने कहा कि हम ओडिशा पुलिस और मलकानगिरी प्रशासन की ओर से अन्य माओवादियों से भी हिंसा छोड़ने, हथियार डालने और मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करते हैं।

बता दें कि इससे पहले 2 जून को 50 माओवादी समर्थकों ने मलकानगिरी में ओडिशा के डीजीपी के सामने आत्मसमर्पण किया था। इसके नौ दिन बाद 397 अन्य माओवादी मुख्यधारा में शामिल हो गए थे। स्वाभिमान अंचल, जिसमें नौ ग्राम पंचायतें और 182 गांव शामिल हैं, को पहले दो दशकों से अधिक समय तक भाकपा (माओवादी) की आंध्र ओडिशा सीमा विशेष क्षेत्रीय समिति का सुरक्षित आश्रय स्थल माना जाता था। एसपी ने कहा कि इलाके में तेजी से बदलाव हो रहा है। 

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