8 मशहूर कलाकारों को सरकारी आवास खाली करने का फरमान, दो मई तक का समय दिया

दिल्ली में सरकारी घरों पर वर्षों से रह रहे कलाकारों को सरकार ने एक और अल्टीमेटम दिया है। दरअसल, 28 कलाकार ऐसे हैं, जिन्हें सरकार कई बार मकान खाली करने काे कह  चुकी है, लेकिन इनमें से 8 के आवास खाली नहीं हुए हैं। इन्हें एक बार फिर 2 मई तक का समय दिया गया है। 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को 8 मशहूर कलाकारों को दो मई तक सरकारी आवास खाली करने का फरमान सुनाया। इन सभी को वर्षों पहले सरकारी आवास आवंटित किए गए थे। हालांकि, ये आवंटन 2014 में निरस्त कर दिए गए थे। सरकार ने यह कदम पद्मश्री से सम्मानित ओडिसी नृत्य गुरु मायाधर राउत से सरकारी आवास खाली कराए जाने की कार्यवाही शुरू करने के एक दिन बाद उठाया है। 

कई बार नोटिस के बाद भी खाली नहीं हो रहे मकान
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कई बार नोटिस देने के बावजूद 28 कलाकारों में से 8 ने अब तक अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया है। अधिकारी ने कहा- इन 8 कलाकारों ने आश्वासन दिया है कि उनका सरकारी बंगला खाली करने की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से कुछ ने कुछ और दिन का समय मांगा है। अधिकारियों ने बताया कि इन कलाकारों ने लिखित में दिया है कि वे 2 मई तक आवास खाली कर देंगे। हमने उन्हें तब तक का समय दे दिया है।  

2020 में भी दिए गए थे नोटिस 
2020 में केंद्र सरकार ने पंडित बिरजू महाराज, पंडित भजन सोपोरी, जतिन दास, उस्ताद एफ वसीफुद्दीन डागर और रीता गांगुली समेत 27 कलाकारों को 31 दिसंबर तक दिल्ली में मिले सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दिया था। इस पर तमाम कलाकारों ने नाराजगी जताई थी। कलाकारों ने कहा था कि वे इस फैसले से अपमानित महसूस कर रहे हैं। उस समय प्रसिद्ध मोहिनीअट्टम नर्तकी भारती शिवाजी ने कहा था कि बेदखली के आदेश के चलते वह सदमे में हैं। उन्होंने कहा था कि मेरे पास अलग से कोई जमीन नहीं है। लेकिन लगता है कि सरकार को पारंपरिक कला का कोई मूल्य नहीं है। इसी साल 17 जनवरी को दिल्ली में पंडित बिरजू महाराज का निधन हो गया।  

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2014 तक विस्तार मिला था, उसके बाद से किराया दे रहे 
बताया जाता है कि इन कलाकारों को आवास आवंटन के तीन साल बाद 2014 तक विस्तार दिया गया। इसके बाद से सरकार ने इन कलाकारों से किराया वसूलने के निर्देश दिए। 2018 में सरकार ने 2014 से 2018 तक का किराया वसूला। कलाकरों का कहना है कि हर महीने हमने 60 हजार से लेकर 1 लाख तक का भुगतान कर किराया चुकाया। अब जहां हम 20 सालों से अधिक समय से रह रहे हैं, वहां से हमें बाहर निकलने को कहा जा रहा है। इतनी उम्र में हम कहां जाएंगे।

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