Paika विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा देने की उठी मांग, बरुनेई से भुवनेश्वर तक प्रोटेस्ट मार्च

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जाटनी विधायक सुरा राउतरे ने मांग किया है कि केंद्र सरकार 1857 के सिपाही विद्रोह को स्वतंत्रता के पहले युद्ध के रूप में मान्यता दी है। जबकि पाइका विद्रोह 1817 में हुआ था। इस संग्राम को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा दिया जाना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Dec 18, 2021 10:39 AM IST

भुवनेश्वर। खोरधा जिले के बरुनेई में पाइका स्मारक निर्माण और पाइका विद्रोह (Paika Rebel) को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (First Indian war of Independence) का दर्जा देने के लिए पाइका समाज ने उड़ीसा में जोरदार प्रदर्शन किया। पाइकाओं ने बरुनेई (Barunei) से भुवनेश्वर (Bhubaneswar) से मार्च कर शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चेताया कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वे लोग उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

मार्च के बाद जनसभा का भी आयोजन

वीरा पाइका संगठन (Veera Paika Organisation) के अध्यक्ष प्रकाश श्रीचंदन (Prakash Srichandan) के नेतृत्व में पाइका या पारंपरिक मार्शल कलाकारों, पाइका डेलिस और पाइका दलबेहेरा की मंडली ने बरुनेई तीर्थ से भुवनेश्वर तक अपनी यात्रा शुरू की। बाद में, पारंपरिक परिधानों में कवच के साथ हथियार पहने पाकियों ने अपने बेजोड़ युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए राम मंदिर के पास से मास्टर कैंटीन स्क्वायर की ओर मार्च किया। मार्च का समापन एकमरा हाट में हुआ। यहां एक सभा का आयोजन किया गया था। पाइकाओं ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे आंदोलन तेज करेंगे।

दिल्ली में भी करेंगे प्रदर्शन

खोरधा के पूर्व विधायक दिलीप श्रीचंदन ने कहा कि बिगुल बज चुका है। हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक केंद्र सरकार पाइका बिद्रोहा को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा नहीं देती। ओडिशा सरकार बरुनेई में पाइका स्मारक के निर्माण के लिए मुफ्त में जमीन उपलब्ध करा दे। उन्होंने चेताया कि अगर मांगे नहीं मानी गई तो इसी तरह का पाइका जुलूस नई दिल्ली के लाल किले में आयोजित किया जाएगा।

1817 के विद्रोह को क्यों नहीं प्रथम संग्राम का दर्जा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जाटनी विधायक सुरा राउतरे ने मांग किया है कि केंद्र सरकार 1857 के सिपाही विद्रोह को स्वतंत्रता के पहले युद्ध के रूप में मान्यता दी है। जबकि पाइका विद्रोह 1817 में हुआ था। इस संग्राम को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का दर्जा दिया जाना चाहिए। हमारे पास अपने दावे का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। 

पीएम मोदी पाइका वंशजों से कर चुके हैं मुलाकात

पीएम नरेंद्र मोदी ने 2017 में भुवनेश्वर की अपनी यात्रा के दौरान पाइका विद्रोही शहीदों के कुछ वंशजों से मुलाकात की थी। आजादी के बाद यह पहली बार था जब किसी प्रधान मंत्री ने पाइका के योगदान को स्वीकार किया था।

सीएम नवीन पटनायक भी कर चुके हैं मांग

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दिसंबर 2019 में पाइका विद्रोह को स्वतंत्रता के पहले युद्ध के रूप में स्वीकार करने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हस्तक्षेप की मांग की थी। पिछले हफ्ते बीजद सांसदों ने इस मुद्दे पर केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की थी। इसके बाद से कई मंचों पर इसकी मांग की जा चुकी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस मांग को उच्चतम स्तर पर उठाया है।

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