पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को फांसी की सजा दी थी। ICJ के 16 जजों ने 15-1 के बहुमत से फैसला जाधव के पक्ष में सुनाया।
दिल्ली: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी दिए जाने के मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) ने बुधवार को रोक लगा दी। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को फांसी की सजा दी थी। ICJ के 16 जजों ने 15-1 के बहुमत से फैसला जाधव के पक्ष में सुनाया। कुलभूषण पाकिस्तान के जेल में जासूसी के आरोप में बंद है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान की कानूनी टीम को वहां के महान्यायवादी मंसूर खान ने लीड किया।
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने 3 मार्च 2016 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। लेकिन इस बात की जानकारी भारत को तीन हफ्ते बाद दी गई। इस पूरे मामले में पाकिस्तान ने गोपनीय ढंग से ही सुनवाई की और कुलभूषण को फांसी की सजा सुना दी। लेकिन इसके बाद भारत ने आईसीजे की मदद से कुलभूषण के फांसी पर रोक लगवा दी।
भारत के सवाल, पाकिस्तान का झूठ
इस पूरे मामले पर भारत द्वारा पूछे सवालों का पकिस्तान ने बार-बार गलत जवाब दिया। वहीं पाकिस्तान अंतरराष्ट्रिय न्याय अदालत के सामने भी अपना पक्ष रखने में नाकाम साबित हुआ।
सवाल नंबर 1 - आखिर पाकिस्तान कैसे पहुंचे कुलभूषण?
जवाब- पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि कुलभूषण भारतीय जासूस थे और वो बलूचिस्तान में हुए आतंकी गतिविधियों में शामिल थे। लेकिन इसे साबित करने के लिए पाकिस्तान के पास कोई सबूत नहीं था।
सवाल नंबर 2 - पाकिस्तान ने गिरफ्तारी की बात 3 हफ्ते तक क्यों छिपाई?
जवाब- इस सवाल पर पाकिस्तानियों के पास कोई जवाब नहीं था। यानी ये सीधे विएना कन्वेक्शन के आर्टिकल 36(1) (b) नियम का उलंघन है, जिसके मुताबिक, कुलभूषण की गिरफ्तारी की जानकारी भारत को तुरंत दी जानी थी। लेकिन पाकिस्तान ने कुलभूषण को 3 मार्च 2016 को अरेस्ट कर भारत को इसकी जानकारी 25 मार्च 2016 को दी।
सवाल नंबर 3 - कुलभूषण को क्यों नहीं मिली कॉन्स्युलर ऑफिसरों की मदद
जवाब- पाकिस्तान ने खुलेआम कहा कि कुलभूषण को कॉन्स्युयलर एक्सेस नहीं दिया जाएगा। दरअसल, पाकिस्तान ने जाधव को कभी बताया ही नहीं कि उन्हें भारतीय कॉन्स्युलर पोस्ट से बात करने का अधिकार है। एक तरह से ये भी वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है।
सवाल नंबर 4 - कुलभूषण को क्यों नहीं दिया गया अपना पक्ष रखने का अधिकार?
जवाब- बेशर्मी दिखाते हुए पाकिस्तान ने कहा कि जासूसों को ये अधिकार नहीं दिया जा सकता। यानी पाकिस्तान ने ना सिर्फ कानून को ताक पर रखा बल्कि मानवाधिकार के नियम भी तोड़े। नियम के मुताबिक आरोपी को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए और अपना पक्ष रखने का अधिकार है। लेकिन कुलभूषण को इससे वंचित रखा गया।
इसके अलावा भारत ने सवाल किया था कि आखिर इस केस की सुनवाई के दौरान भारत से किसी अधिकारी को शामिल क्यों नहीं किया गया? सारी सुनवाई बंद कमरे में की गई। साथ ही पेश किये गए सबूत भी कुलभूषण को जासूस घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में आखिर कैसे उन्हें जासूस बताया गया?
जबरदस्ती कबूल करवाए आरोप
भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि कुलभूषण से जबरदस्ती उनका गुनाह कबूलने वाला बयान दर्ज करवाया गया था। भारत का आरोप था कि इस दौरान भारत से कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था और प्रेशर बनाकर कुलभूषण से ये बयान कबूल करवाया गया था।