पीएम मोदी ने कबीर और रामचरितमानस के इन दोहों का किया जिक्र, जानिए क्या हैं इनका मतलब?

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। 12 मिनट के इस संबोधन में पीएम मोदी ने कोरोना वायरस से सावधानी बरतने की अपील की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कबीर दास जी और रामचरित मानस के श्लोकों से जनता को सीख देने की कोशिश की। आईए जानते हैं पीएम मोदी ने किन श्लोकों का जिक्र किया और इनका क्या मतलब है?

Asianet News Hindi | Published : Oct 20, 2020 1:54 PM IST / Updated: Oct 20 2020, 10:56 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश को संबोधित किया। 12 मिनट के इस संबोधन में पीएम मोदी ने कोरोना वायरस से सावधानी बरतने की अपील की। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कबीर दास जी और रामचरित मानस के श्लोकों से जनता को सीख देने की कोशिश की। आईए जानते हैं पीएम मोदी ने किन श्लोकों का जिक्र किया और इनका क्या मतलब है?

पीएम मोदी ने कबीर दास जी के इस दोहे का जिक्र किया। 

''पकी खेती देखिके, गरब किया किसान।
अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान।''

क्या है अर्थ?
किसान की फसल पक चुकी है और वह बहुत प्रसन्न है। खुद पर गर्व हो जाता है, लेकिन फसल काटकर घर ले जाने तक बहुत सारे झमेले (परेशानी) होते हैं। फसल काटकर जब खेत में रखी जाती है और उस दौरान बारिश हो जाए तो सब चौपट हो जाता है। जब तक फसल घर न आ जाए, तब तक सफलता नहीं माननी चाहिए। 

पीएम मोदी ने आगे कहा, जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं आ जाती,  हमें कोरोना से अपनी लड़ाई को कमजोर नहीं पड़ने देना है। 

पीएम मोदी ने रामचरितमानस के इस दोहे का किया जिक्र।

''रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।

क्या है अर्थ?
शत्रु, रोग, अग्नि, पाप (गलती और बीमारी), स्वामी और सर्प को छोटा नहीं समझना चाहिए। 

पीएम मोदी ने कहा, जब तक इनका पूरा इलाज ना हो जाए, तब इन्हें छोटा नहीं समझना चाहिए। यानी जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।

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