केंद्र सरकार ने इस ट्रस्ट का गठन किया है। इन सब के बीच सबसे खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद लोकसभा 'जय श्री राम' के नारे से गूंज उठा। वहीं, केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरीराज सिंह खुशी के मारे उछल पड़े।
नई दिल्ली. संसद के बजट सत्र में आज यानी बुधवार को पीएम मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट निर्माण का ऐलान कर दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार तीन माह के भीतर राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया जाना था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने इस ट्रस्ट का गठन किया है। इन सब के बीच सबसे खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद लोकसभा 'जय श्री राम' के नारे से गूंज उठा। वहीं, केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह खुशी के मारे उछल पड़े।
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद पीएम मोदी ने लोकसभा में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन का प्रस्ताव पेश किया। उससे पहले इस प्रस्ताव को कैबिनेट में पेश किया गया। जहां से इस ट्रस्ट को मंजूरी मिल गई।
क्या कहा गिरिराज सिंह ने
राम मंदिर पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह: बरसों से, आजादी के 70 साल से राम मंदिर कांग्रेस द्वारा लटकाया जा रहा था। आज तारीख की घोषणा हो गई और ट्रस्ट भी बन गई, अब प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनेगा और उनके(कांग्रेस) चेहरे काले हो गए।
क्या कहा पीएम मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा कि 67.03 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दी जाएगी। 'भगवान श्री राम की स्थिली पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट पूर्ण रूप से ऑथराइज्ड होगा।' साथ ही उन्होंने कहा, 'सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन देने के लिए यूपी सरकार से अनुरोध किया गया है। उन्होंने इस पर कार्य तेज कर दिया है।'
लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, 'सभी धर्म के लोग एक हैं, परिवार के सदस्य सुखी समृद्ध हों और देश का विकास हो, इसीलिए सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर चल रहे हैं।' उन्होंने कहा, अयोध्या में राम धाम के निर्माण के लिए सभी लोग एक स्वर में अपना मत दें।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह फैसला
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। 1045 पेज के निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों की सहमति थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, अगले चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर ने 9 नवंबर को फैसला सुनाया कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंप दिया जाए।
एक ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि विवादित जमीन के तीन हिस्से करके निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए।