प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने 8 नवंबर को श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और श्री संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के प्रमुख खंडों को चार लेन का बनाने के कार्य की आधारशिला रखी। इस अवसर पर केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे।
नई दिल्ली. महाराष्ट्र के प्रमुख तीर्थ स्थल पंढरपुर तक पहुंचने के लिए जल्द 4 लेन रोड मिलने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने 8 नवंबर को श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और श्री संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के प्रमुख खंडों को चार लेन का बनाने के कार्य की आधारशिला रखी। बता दें कि पंढरपुर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में चंद्रभागा नदी के तट पर एक प्रसिद्ध तीर्थ शहर है।
इससे अधिक आनंद का सौभाग्य और क्या होगा
मोदी ने कहा-आज श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का शिलान्यास हुआ है। श्रीसंत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का निर्माण 5 चरणों में होगा और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का निर्माण 3 चरणों में पूरा किया जाएगा। दो दिन पहले मुझे केदारनाथ में आदि शंकराचार्य जी की पुनर्निर्मित समाधि की सेवा का अवसर मिला और आज भगवान विट्ठल ने अपने नित्य निवास स्थान पंढरपुर में मुझे आप सबके बीच जोड़ दिया। इससे ज्यादा आनंद का ईश्वरीय कृपा के साक्षात्कार का सौभाग्य और क्या हो सकता है।
कई चुनौतियां आईं, लेकिन...
मोदी ने कहा-देश में कई चुनौतियां आईं; हमले हुए, लेकिन विट्ठल देव हमारी आस्था में अनवरत चलते रहे अतीत में हमारे भारत पर कितने ही हमले हुये! सैकड़ों साल की गुलामी में ये देश जकड़ा गया। प्राकृतिक आपदाएँ आईं, चुनौतियाँ आईं, कठिनाइयाँ आईं, लेकिन भगवान विट्ठल देव में हमारी आस्था, हमारी दिंडी वैसे ही अनवरत चलती रही। आज भी ये यात्रा दुनिया की सबसे प्राचीन और सबसे बड़ी जन-यात्राओं के रूप में, people मूवमेंट के रूप में देखी जाती है। ‘आषाढ एकादशी’ पर पंढरपुर यात्रा का विहंगम दृश्य कौन भूल सकता है। हजारों-लाखों श्रद्धालु, बस खिंचे चले आते हैं।
सभी पंथ भागवत पंथ ही है
मोदी ने कहा-पंढरपुर की सेवा मेरे लिए साक्षात् श्री नारायण हरि की सेवा है। ये वो भूमि है, जहां भक्तों के लिए भगवान आज भी प्रत्यक्ष विराजते हैं। ये वो भूमि है, जिसके बारे में संत नामदेव जी महाराज ने कहा है कि पंढरपुर तबसे है जब संसार की भी सृष्टि नहीं हुई थी। भगवान विट्ठल का दरबार हर किसी के लिए समान रूप से खुला है। और जब मैं सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास कहता हूं, तो उसके पीछे भी तो यही भावना है। यही भावना हमें देश के विकास के लिए प्रेरित करती है, सबको साथ लेकर, सबके विकास के लिए प्रेरित करती है। ये यात्राएं अलग अलग पालखी मार्गों से चलती हैं, लेकिन सबका गंतव्य एक ही होता है। ये भारत की उस शाश्वत शिक्षा का प्रतीक है जो हमारी आस्था को बांधती नहीं, बल्कि मुक्त करती है: जो हमें सिखाती है कि मार्ग अलग अलग हो सकते हैं, पद्धतियां और विचार अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य एक होता है। अंत में सभी पंथ ‘भागवत पंथ’ही हैं।
मैं खुद को रोक नहीं पा रहा
मोदी ने कहा-आज जब मैं अपने वारकरी भाई-बहनों से बात कर रहा हूं, तो आपसे आशीर्वाद स्वरूप तीन चीजें मांगना चाहता हूं। आपका हमेशा मुझ पर इतना स्नेह रहा है, कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा। दूसरा आशीर्वाद मुझे ये चाहिए कि इस पैदल मार्ग पर हर कुछ दूरी पर पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाए, इन मार्गों पर अनेकों प्याऊ बनाए जाएं। तीसरा आशीर्वाद जो मुझे चाहिए, वो पंढरपुर के लिए है। मैं भविष्य में पंढरपुर को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहता हूं। ये काम भी जनभागीदारी से ही होगा, जब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगे, तभी हम इस सपने को साकार कर पाएंगे
वारकरी आंदोलन पर बोले मोदी
वारकरी आंदोलन की और एक विशेषता रही और वह है पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर वारी में चलने वाली हमारी बहनें, देश की स्त्री शक्ति! पंढरी की वारी, अवसरों की समानता का प्रतीक हैं। वारकरी आंदोलन का ध्येय वाक्य हैं, ‘भेदाभेद अमंगळ’। भारत भूमि की ये विशेषता है कि समय-समय पर, अलग-अलग क्षेत्रों में, ऐसी महान विभूतियां अवतरित होती रहीं, देश को दिशा दिखाती रहीं। दक्षिण में मध्वाचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभचार्य, रामानुजाचार्य हुए, पश्चिम में नरसी मेहता, मीराबाई, धीरो भगत, भोजा भगत, प्रीतम हुए। उत्तर में रामानंद, कबीरदास, गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास, गुरु नानकदेव, संत रैदास हुए, पूर्व में चैतन्य महाप्रभु, और शंकर देव जैसे संतों के विचारों ने देश को समृद्ध किया। पंढरपुर की सेवा मेरे लिए साक्षात् श्री नारायण हरि की सेवा है। ये वो भूमि है, जहां भक्तों के लिए भगवान आज भी प्रत्यक्ष विराजते हैं। ये वो भूमि है, जिसके बारे में संत नामदेव जी महाराज ने कहा है कि पंढरपुर तबसे है जब संसार की भी सृष्टि नहीं हुई थी। भगवान विट्ठल का दरबार हर किसी के लिए समान रूप से खुला है।
विकास की बात पर बोले पीएम
जब मैं सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास कहता हूं, तो उसके पीछे भी तो यही भावना है। यही भावना हमें देश के विकास के लिए प्रेरित करती है, सबको साथ लेकर, सबके विकास के लिए प्रेरित करती है। भारत की संस्कृति को, भारत के आदर्शों को सदियों से यहाँ का धरती पुत्र ही जीवित बनाए हुये है। एक सच्चा अन्नदाता समाज को जोड़ता है, समाज को जीता है, समाज के लिए जीता है। आपसे ही समाज की प्रगति है और आपकी ही प्रगति में समाज की प्रगति है।
यह है मोदी का कार्यक्रम...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर, 2021 को दोपहर बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग (एनएच-965) के पांच खंडों और श्री संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग (एनएच-965जी) के तीन खंडों को चार लेन का बनाने के कार्य की आधारशिला रखी। इन राष्ट्रीय राजमार्गों के दोनों ओर ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग का निर्माण किया जाएगा, जिससे भक्तों को परेशानी मुक्त और सुरक्षित मार्ग उपलब्ध होगा।
इतनी आएगी लागत
संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग के दिवेघाट से लेकर मोहोल तक के लगभग 221 किलोमीटर लंबे खंड और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के पतस से लेकर टोंदले-बोंदले तक के लगभग 130 किलोमीटर लंबे खंड को चार लेन का बनाया जायेगा। चार लेन वाले इन खंडों के दोनों ओर ‘पालखी’ के लिए समर्पित पैदल मार्ग बनाए जाएंगे। इन चार लेन और समर्पित पैदल मार्गों की अनुमानित लागत क्रमशः 6690 करोड़ रुपये और लगभग 4400 करोड़ रुपये से अधिक होगी।
यह भी जानें
इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री पंढरपुर तक आवागमन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर 223 किलोमीटर से अधिक लंबी पूर्ण निर्मित एवं उन्नत सड़क परियोजनाएं भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इन सड़क परियोजनाओं की अनुमानित लागत 1180 करोड़ रुपये से अधिक है। इन परियोजनाओं में म्हसवड-पिलीव-पंढरपुर (एनएच 548ई), कुर्दुवाड़ी-पंढरपुर (एनएच 965सी), पंढरपुर-संगोला (एनएच 965सी), एनएच 561ए का तेम्भुरनी-पंढरपुर खंड और एनएच 561ए के पंढरपुर-मंगलवेढा-उमाडी खंड शामिल हैं।
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