प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM narendra modi) ने 4 मार्च को सतत विकास के लिए ऊर्जा(Energy for Sustainable Growth) विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित किया। इसमें उन्होंने भारत के 2070 तक के मिशन के बारे में बताया। मोदी ने कहा- लंबे समय तक चलने वाली एनर्जी (sustainable energy) से ही भारत का सतत विकास संभव है
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM narendra modi) ने 4 मार्च को सतत विकास के लिए ऊर्जा(Energy for Sustainable Growth) विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित किया। इसमें उन्होंने भारत के 2070 तक के मिशन के बारे में बताया। मोदी ने कहा कि हम घर के बाग-बगीचे या बालकनी में हर परिवार के एक सोलर ट्री की एक नई अवधारणा विकसित कर सकते हैं, ये सोलर ट्री घर की 10-20% बिजली में मदद कर सकता है। ये घर की पहचान भी बन जाएगा कि सोलर ट्री वाला घर पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिकों का घर है। भारत ने अपने लिए जो लक्ष्य तय किए हैं उन्हें मैं चुनौती की तरह नहीं बल्कि एक अवसर की तरह देखता हूं। इसी विजन पर भारत बीते वर्षों से चल रहा है और इस बजट में इनको पॉलिसी लेवल पर और आगे बढ़ाया गया है।
sustainable energ: लंबे समय तक चलने वाली एनर्जी
मोदी ने कहा- लंबे समय तक चलने वाली एनर्जी (sustainable energy) से ही भारत का सतत विकास संभव है। हमने 2070 तक नेट जीरो कंट्री बनने का वादा किया है। हमने लाइफ मिशन - लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट को भी आगे रखा है। सतत विकास के लिए ऊर्जा हमारी प्राचीन परंपराओं से प्रेरित है और यह भारत की भविष्य की आकांक्षाओं को पूरा करने का तरीका भी है। इस वर्ष के बजट में उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल निर्माण के लिए 19,500 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है। हमने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की भी घोषणा की है।
2030 का मिशन
2030 तक हमारा लक्ष्य गैर-जीवाश्म स्रोतों(non-fossil sources) द्वारा अपनी स्थापित ऊर्जा क्षमता का 50% प्राप्त करना है। भारत ने अपने लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं और हम उन्हें अवसरों के रूप में देखते हैं। भारत पिछले कुछ वर्षों में उसी दृष्टि से आगे बढ़ रहे हैं। अक्षय ऊर्जा(renewable energy) के साथ-साथ ऊर्जा भंडारण भी एक बड़ी चुनौती है। हमने भंडारण क्षमता को भी बड़ी प्राथमिकता दी है। इस साल के बजट में हमने बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी और इंटर-ऑपरेबिलिटी मानकों के लिए प्रावधान किए हैं।
एलईडी बल्ब का उत्पादन बढ़ाया
मोदी ने कहा-पहले एलईडी बल्ब(LED bulbs) की कीमत 300-400 रुपये हुआ करती थी। हमारी सरकार ने इसका उत्पादन बढ़ाया, जिससे लागत कम हुई। हमने उजाला के तहत लगभग 37 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए हैं, जिससे बहुत सारी बिजली, गरीबों के लिए पैसा और कार्बन उत्सर्जन(carbon emissions) की बचत हुई है। हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र उर्वरकों, रिफाइनरियों और परिवहन क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा क्षेत्र है] जिसमें भारत की क्षमता का पूर्ण उपयोग करने के लिए निजी क्षेत्र को इनोवेशन करना चाहिए। इसके लिए ऊर्जा की बचत और उत्पादन समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। हमें यहां भारत में अधिक ऊर्जा-कुशल एसी, हीटर, गीजर और इसी तरह के उपकरणों के निर्माण के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
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