CII के पोस्ट बजट कॉन्फ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। सरकार जिस स्पीड और स्केल पर इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण कर रही है, पहले कभी नहीं हुआ।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मंगलवार को CII के पोस्ट बजट कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज भारत, दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनॉमिक पावर बन जाएगा। हमारी सरकार जिस स्पीड और स्केल पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है वो अभूतपूर्व है।
नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत सधे हुए कदमों से लगातार आगे बढ़ रहा है। जब 2014 में हमारी सरकार बनी तो सबसे बड़ा प्रश्न यही था कि इकोनॉमी को वापस पटरी पर कैसे लाएं। 2014 के पहले की फ्रेजाइल फाइव वाली स्थिति और लाखों करोड़ के घोटालों के बारे में यहां हर किसी को पता है। हमारी इकोनॉमी की क्या स्थिति थी। इसकी बारीकी सरकार ने सफेद पत्र जारी कर देश के सामने रखी है।"
2013-14 से अब तक तीन गुना बढ़ा बजट का आकार
पीएम ने कहा, "कुछ दिन पहले बजट आया है। 2013-14 में पिछली सरकार का आखिरी बजट 16 लाख करोड़ रुपए का था। आज हमारी सरकार का बजट तीन गुना बढ़कर 48 लाख करोड़ रुपए हो गया है। कोई कमजोर व्यक्ति है। उसके शरीर का वजन कम है। लेकिन अगर किसी बीमारी के चलते उसके शरीर में सूजन आ जाए और पहले की तुलना में कपड़े छोटे पड़ने लगे, लेकिन क्या हम उसे स्वस्थ कहेंगे। वह देखने में भरे स्वस्थ लगे, लेकिन अंदर से कमजोर होता है। 2014 से पहले के बजट का भी ऐसा ही हाल था। तब बजट में बड़ी-बड़ी घोषणाएं इसलिए की जाती थी कि दिखाया जा सके कि अर्थव्यवस्था की सेहत अच्छी है। लेकिन सच्चाई ये थी कि बजट में जो घोषणाएं होती थी वो भी जमीन पर पूरी तरह नहीं उतरती थी। ये लोग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए तय की गई राशि को भी पूरी तरह खर्च नहीं करते थे। घोषित करते थे तो हेडलाइन लेते थे।"
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नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमने 10 वर्षों में इस स्थिति को बदला है। हमारी सरकार जिस स्पीड और स्केल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है। यह अभूतपूर्व है। आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं वो बहुत सी अनिश्चितताओं से भरी है। ऐसी दुनिया में भारत की जैसी ग्रोथ और स्थिरता होना अपवाद है। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अच्छी वृद्धि हो रही है। आज जब सारे देश लो ग्रोथ या अधिक मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं उन परिस्थितियों में भारत ऊंचे विकास और कम मुद्रास्फीति वाला एकलौता देश है।”
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