क्यों न गुल हो बत्ती, राज्य सरकारों पर कोल इंडिया का 6,477 करोड़ रुपए बकाया, महाराष्ट्र सबसे बड़ा बकायेदार

देश के 16 राज्यों मेंं बिजली की किल्लत है। महाराष्ट्र, राजस्थान और झारखंड की सरकारें लगातार केंद्र सरकार को कोयला आपूर्ति नहीं करने के लिए घेर रही हैं। इस बीच सामने आया है कि कोल इंडिया का सबसे बड़ा बकायेदार महाराष्ट्र है। हजारों करोड़ का बकाया होने के बाद भी कोल इंडिया ने उसकी कोयला आपूर्ति नहीं रोकी है।  
 

नई दिल्ली। देश में जारी बिजली संकट (Power Crisis) को लेकर हाहाकार मचा है। महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्य केंद्र सरकार पर कोयले की आपूर्ति ठीक से नहीं कराने के आरेाप लगा रहे हैं। इस बीच कोल इंडिया (Coal India) की इन राज्यों पर बकाया राशि सामने आई है। कोल इंडिया लिमिटेड (CIAL) के मुताबिक महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश की पावर कंपनियाें पर कोल इंडिया लिमिटेड का 6,477.5 करोड़ रुपए बकाया है। 

महाराष्ट्र पावर जेनरेशन कंपनी सबसे बड़ी बकायेदार
कोल इंडिया की सबसे बड़ी बकायेदार महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी है। इस कंपनी पर कोल इंडिया का 2,608.07 करोड़ रुपए बकाया है। इसी तरह पश्चिम बंगाल पावर डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WPDCL) पर 1,066.40 करोड़ रुपए बाकी है। कोल इंडिया सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की बिजली उत्पादन कंपनियों पर बकाया बहुत ज्यादा है, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड ने इन राज्यों की आपूर्ति कभी नहीं रोकी और उन्हें पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की है।   

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केजरीवाल की मांग पर दिल्ली को पर्याप्त कोयला देने का आश्वासन 
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शनिवार को फिर से कोयले की कमी का मुद्दा उठाया। दिल्ली सरकार ने पावर प्लांट्स में कोयले की कमी का हवाला देते हुए आपूर्ति बाधित होने की चेतावनी दी है। केजरीवाल ने कहा- ‘दिल्ली मे बिजली आपूर्ति का प्रबंधन हम (दिल्ली सरकार) कर रहे हैं। कोयले की कमी के कारण यह समस्या पूरे देश के सामने है। उधर, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि दिल्ली की बिजली आपूर्ति कंपनियों को आवश्यकता के अनुसार कोयला मिलता रहेगा। केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली को बिजली आपूर्ति करने वाले पावर प्लांट्स सहित अन्य बिजली घरों में कोयले की उपलब्धता की समीक्षा की। मंत्री ने दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों को कहा है कि उन्हें मांग के अनुरूप बिजली मिलेगी। टाटा पावर दिल्ली वितरण निगम (TPDDL) ने बताया कि वह उन पावर प्लांट्स में कोयले की उपलब्धता पर नजर रख रहा है, जिनके साथ उसका लंबे समय तक का करार है। टीपीडीडीएल ने हाल में मई के पहले सप्ताह से 31 जुलाई तक 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली के लिए करार किया है। 

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