देश के कई हिस्सों में नागरिकता सशोधन कानून (CAA) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच चिल्कुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी ने भागवान बालाजी को नागरिकता देने की मांग की है। उन्होंने कहा, हर भगवान को नाबालिग माना जाता है।
हैदराबाद. देश के कई हिस्सों में नागरिकता सशोधन कानून (CAA) को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच चिल्कुर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी ने भागवान बालाजी को नागरिकता देने की मांग की है। उन्होंने कहा, हर भगवान को नाबालिग माना जाता है, इसलिए उन्हें कोर्ट में पुजारी और ट्रस्टी के जरिए पेश जाना चाहिए।
मंदिर के मुख्य पुजारी हैं सीएस रंजराजन
मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा, सबी देवी देवताओं जैसे तिरुमला में वेंकटेश्वर स्वामी, सबरीमाला में अयप्पा स्वामी और केरल के पद्मनाभस्वामी को सीएए के सेक्शन 5(4) के तहत नागरिक माना जाए और रजिस्टर में शामिल किया जाए।
सबरीमाला मंदिर पर फैसले को बताया धार्मिक आजादी के लिए खतरा
सीएस रंजराजन ने सबरीमाला मंदिर पर फैसले को हिंदू देवता की धार्मिक आजादी के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा, संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद धार्मिक स्थल और चैरिटेबल संस्थाओं की बागडोर राज्यों को दी जा रही है। जबकि दूसरे धार्मिक स्थलों को उनके समुदाय के लोग ही देखरेख करते हैं।
सीएए क्या है?
नागरिकता (संशोधन) कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से भारत आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों नागरिकता दी जाएगी। हालांकि शर्त यह है कि वह 6 साल से भारत में रह रहे हो। यानी जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हैं उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
सीएए को लेकर विवाद क्यों?
इस कानून को लेकर सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है, जो कि संविधान के खिलाफ है। आरोप है कि संविधान में धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस कानून में ऐसा किया गया है। वहीं पूर्वोत्तर में लोगों का कहना है कि शरणार्थियों को नागरिकता मिलने से उनकी अपनी संस्कृति और पहचान खत्म हो जाएगी। सीएए के खिलाफ 38 दिन से शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन हो रहा है।