यूरोप विजिट पर मोदी ने दिया आपदाओं से निपटने का मंत्र-हमें अपने भविष्य को हर परिस्थिति के लायक बनाना है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की 3 दिवसीय यात्रा पर हैं। मोदी का इस साल का पहला विदेशी दौरा है। दौरे के अंतिम दिन वे डेनमार्क में हैं। वे आज भी कोपेनहेगन में रहेंगे। भारत वापसी के समय वे पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों(Emmanuel Macron) से मिलेंगे।

Amitabh Budholiya | Published : May 4, 2022 2:33 AM IST / Updated: May 04 2022, 02:39 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपनी तीन दिनी जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा के अंतिम दिन पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों(Emmanuel Macron) से मिलेंगे। यात्रा के पहले दिन बर्लिन(जर्मनी) के बाद वे 3 मई को डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन पहुंचे थे। वे आज भी यही रहेंगे। भारत वापस आते समय मोदी इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे। मोदी ने जाने से पहले लिखा कहा था-"अपनी वापसी यात्रा के दौरान मैं अपने मित्र राष्ट्रपति मैक्रों से मिलने के लिए पेरिस में रुकूंगा। राष्ट्रपति मैक्रों को हाल ही में फिर से चुना गया है। चुनाव परिणाम के दस दिन बाद मेरी यात्रा न केवल मुझे व्यक्तिगत रूप से अपनी व्यक्तिगत बधाई देने की अनुमति देगी, बल्कि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ मित्रता की भी पुष्टि करेगी।" तस्वीर-कोपेनहेगन में डेनमार्क साम्राज्य की महारानी मार्गरेट-II(Margrethe II )से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी।

प्रधानमंत्री ने आपदा अवरोधी अवसंरचना(Disaster Resilient Infrastructure) के चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो मैसेज के जरिये आपदा अवरोधी अवसंरचना पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया। सत्र को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, घाना के राष्ट्रपति नाना एडो डंकवा अकूफ़ो-एडो, जापान के प्रधानमंत्री फूमिओ किशीदा और मैडागास्कर के राष्ट्रपति आंद्रे निरिना राजोलिना ने भी सम्बोधित किया।

मोदी ने संकल्प याद दिलाए
प्रधानमंत्री मोदी ने सतत विकास लक्ष्यों के उस संकल्प की याद दिलाई कि कोई भी पीछे न छूटने पाए। उन्होंने कहा, “इसीलिये हम अगली पीढ़ी वाली अवसंरचना का निर्माण करके निर्धनतम और अत्यंत जोखिम वाले वर्गों की आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं।” 

मोदी ने कहा कि अवसंरचना का मंतव्य(infrastructure destination) जन और लोगों को समानता के आधार पर उच्च गुणवत्ता, भरोसेमंद और सतत सेवाए मुहैया कराना है। लोगों को किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास गाथा के मर्म में होना चाहिये। भारत बिलकुल यही कर रहा है।

मोदी ने गिनाई भारत की बातें
मोदी ने बताया कि भारत शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता, बिजली, यातायात आदि क्षेत्रों में बुनियादी सेवा की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। इसी तारतम्य में मोदी ने कहा कि हम लोग बहुत स्पष्ट तरीके से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर रहे हैं। यही कारण है कि हम कॉप-26 में अपने विकास प्रयासों के समानान्तर 2070 तक ‘नेट-ज़ीरो’ को हासिल करने के लिये संकल्पित हैं।”

मानव क्षमता के भरपूर उपयोग पर जोर
प्रधानमंत्री ने मानव क्षमता के भरपूर उपयोग के लिये अवसंरचना के महत्त्व का उल्लेख करते हुए कहा कि अवसंरचना की क्षति पीढ़ियों तक चलती रहती है। हमारे पास उपलब्ध आधुनिक प्रौद्योगिकी और ज्ञान के आधार पर क्या हम परिस्थितियों का सामना करने वाली अवसंरचना का निर्माण कर सकते हैं, जो सदैव कायम रहे?” 

उन्होंने कॉप-26 में शुरू की गई ‘इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजेलियंट आईलैंड स्टेट्स’ (अवरोधी द्वीपीय राज्यों के लिये अवसंरचना) पहल और पूरी दुनिया में 150 हवाई अड्डों के सम्बंध में ‘रेजेलियंट एयरपोर्ट्स’ (अवरोधी विमानपत्तन) पर सीडीआरआई के कामकाज का उल्लेख किया। मोदी ने बताया कि सीडीआरआई के नेतृत्व में चलने वाले ‘ग्लोबल असेसमेंट ऑफ डिजास्टर रेसेलियंस ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम्स’ (अवसंरचना सम्बंधी प्रणालियों के आपदा अवरोधी स्थिति का वैश्विक मूल्यांकन) से वैश्विक ज्ञान के सृजन में मदद मिलेगी, जो बहुत मूल्यवान होगा।

भविष्य पर जोर
मोदी ने कहा कि हमें अपने भविष्य को हर परिस्थिति के लायक बनाना है, तो हमें ‘रेजेलियंट इंफ्रस्ट्रक्चर ट्रांजिशन’ (हर परिस्थिति के योग्य अवसंरचना परिवर्तन) के लिये काम करना होगा। हर परिस्थिति में काम करने के लायक अवसंरचना को हमारे विस्तृत समायोजक प्रयासों के केंद्र में भी रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “अगर हम अवसंरचना को हालात का सामना करने लायक बनाएंगे, तो न केवल अपने लिये, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों के लिए आपदाओं को रोक पाएंगे।”

नार्वे के प्रधानमंत्री से भी मिले
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में आयोजित दूसरे भारत नॉर्डिक शिखर सम्मेलन(2nd India Nordic Summit) के इतर नॉर्वे के प्रधान मंत्री जोनास गहर स्टोर(Jonas Gahr Store) से मुलाकात की। अक्टूबर 2021 में स्टोर द्वारा पीएम का पदभार ग्रहण करने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में चल रही गतिविधियों की समीक्षा की और सहयोग के भावी क्षेत्रों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने ब्लू इकोनॉमी, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सौर और पवन परियोजनाओं, हरित शिपिंग, मत्स्य पालन, जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, अंतरिक्ष सहयोग, दीर्घकालिक अवसंरचना निवेश, स्वास्थ्य और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में जुड़ाव को गहरा करने की क्षमता पर चर्चा की। क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी चर्चा हुई। UNSC के सदस्य के रूप में, भारत और नॉर्वे संयुक्त राष्ट्र में पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ जुड़ते रहे हैं।

इससे पहले: डेनमार्क में कई विषयों पर हुई चर्चा
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री सुश्री मेटे फ्रेडरिकसन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-डेनमार्क हरित सामरिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की। इस बातचीत में अक्षय ऊर्जा, खास तौर पर अपतटीय पवन ऊर्जा व ग्रीन हाइड्रोजन और साथ ही साथ कौशल विकास, स्वास्थ्य, शिपिंग, जल तथा आर्कटिक में सहयोग जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने भारत के प्रमुख कार्यक्रमों में डेनमार्क की कंपनियों के सकारात्मक योगदान की प्रशंसा की। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। 

डेनमार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण

Your Excellency,
Prime Minister of Denmark,
डेलीगेशन के सदस्यों, मीडिया के मित्रों,
Good evening and Namaskar,

Excellency Prime Minister, मेरे और मेरे डेलीगेशन के डेनमार्क में शानदार स्वागत और मेजबानी के लिए, आप को और आप की टीम को हार्दिक धन्यवाद। आपके खूबसूरत देश में यह मेरी पहली यात्रा है। पिछले वर्ष अक्तूबर में मुझे आपका भारत में स्वागत करने का अवसर प्राप्त हुआ । इन दोनों यात्राओं से हम अपने संबंधो में निकटता ला पाए हैं और इन्हें गतिशील बना पाए हैं। हमारे दोनों देश लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और कानून के शासन जैसे मूल्यों को तो साझा करते ही हैं; साथ में हम दोनों की कई complementary strengths भी हैं।

Friends,
अक्तूबर 2020 में India-Denmark Virtual Summit के दौरान हमने अपने संबंधों को Green Strategic Partnership का दर्जा दिया था। हमारी आज की चर्चा के दौरान, हमने अपनी Green Strategic Partnership के joint work-plan की समीक्षा की।

मुझे खुशी है कि विभिन्न क्षेत्रों में, विशेष रूप से renewable energy, स्वास्थ्य, ports, शिपिंग, सर्कुलर इकोनामी तथा water management के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 200 से अधिक डेनिश कंपनियां भारत में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं – जैसे पवन ऊर्जा, शिपिंग, कंसल्टेंसी, food processing, इंजीनियरिंग ऐसे कई क्षेत्र हैं । इन्हें भारत में बढ़ते ‘Ease of doing business’ और हमारे व्यापक आर्थिक reforms का लाभ मिल रहा है। भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर और ग्रीन इंडस्ट्रीज में डेनिश कम्पनीज और Danish Pension Funds के लिए निवेश के बहुत अवसर हैं।

आज(यानी 3 मई) हमने भारत-EU रिश्तों, Indo-Pacific और Ukraine सहित कई क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत की। हम आशा करते हैं कि India-EU Free Trade Agreement उस पर negotiations यथाशीघ्र संपन्न होंगे। हमने एक Free, Open,Inclusive और Rules-based इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र को सुनिश्चित करने पर जोर दिया। हमने यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम और समस्या के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने की अपील की। हमने climate के क्षेत्र में अपने सहयोग पर भी चर्चा की। भारत ग्लासगो COP-26 में लिए गए संकल्पों को पूरा करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। हम आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग के अधिक अवसर तलाशने पर सहमत हुए हैं।

Excellency,
मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में भारत और Denmark के संबंध नई ऊंचाई प्राप्त करेंगे।मैं कल होने वाली 2nd India-Nordic Summit की मेजबानी करने के लिए भी आपका आभार व्यक्त करता हूं। और आज भारतीय डायस्पोरा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भी मैं, क्योंकि आपने वहाँ आने के लिए समय निकाला, भारतीय समुदाय के प्रति आपका कितना प्यार है उसका ये प्रतीक है और इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद करता हूं। Thankyou (PIB से साभार)

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