सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों यूरोप यात्रा पर हैं। जर्मनी के बाद पीएम मंगलवार को डेनमार्क पहुंचे, जहां राजधानी कोपेनहेगन में वहां की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन एयरपोर्ट पर मोदी के स्वागत के लिए पहुंचीं।
कोपनेहेगन/नई दिल्ली। यूरोप यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) मंगलवार को डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन पहुंचे। यहां एयरपोर्ट पर डेनमार्क (Denmark) की प्राइम मिनिस्टर मेटे फ्रेडरिक्सन (Mette Frederiksen) ने उनका वेलकम किया। यहां से पीएम मोदी डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे के आधिकारिक निवास पर पहुंचे, जहां दोनों के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई। पीएम मोदी ने डेनमार्क से कौशल विकास, जलवायु, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप पर बातचीत की।
कोपेनहेगन में हुए भारत-डेनमार्क बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा- इन दिनों सोशल मीडिया पर FOMO या 'फियर ऑफ मिसिंग आउट' शब्द का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। भारत के रिफॉर्म और निवेश के अवसरों को देखते हुए मैं कह सकता हूं कि जो लोग हमारे देश में निवेश नहीं करते हैं वे निश्चित रूप से चूक जाएंगे।
रूस-यूक्रेन रोकें युद्ध :
इससे पहले डेनमार्क और भारत के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रोकने की अपील की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को बातचीत और कूटनीति के जरिए इस पर लगाम लगानी चाहिए। वहीं डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा की। मेटे ने कहा- मेरा संदेश बेहद स्पष्ट है कि पुतिन इस युद्ध को रोकें और बेगुनाहों की हत्या पर रोक लगाएं।
डेनमार्क की 200 से ज्यादा कंपनियां भारत में कर रहीं काम :
पीएम मोदी ने कहा- 200 से ज्यादा डेनमार्क की कंपनियां भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही हैं। इनमें पवन ऊर्जा, फूड प्रोसेसिंग, शिपिंग, कंसल्टेंसी, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्र शामिल हैं। ये भारत के बढ़ते व्यापक आर्थिक सुधारों का लाभ उठा रहे हैं। इससे पहले जर्मनी के बर्लिन से निकलने से पहले पीएम मोदी ने भारत के लोगों से मुलाकात की।
जर्मनी से किया ग्रीन एनर्जी पर समझौता :
इससे पहले पीएम मोदी ने जर्मनी के बर्लिन में चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से मुलाकात की। यहां दोनों नेतओं ने भारत-जर्मनी के बीच ग्रीन एनर्जी पर समझौता किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी साथ में ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स का गठन करेंगे। बता दें कि दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत जर्मनी की ओर से भारत को 2030 तक क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद भी मिलेगी।