Modi Kedarnath Visit: 'लोग सोचते थे कि क्या केदार धाम फिर उठा खड़ा होगा, आज ये अधिक आन-बान और शान से खड़ा है'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जवानों के साथ दिवाली मनाकर गोवर्धन पूजा पर केदारनाथ पहुंचे। आदि गुरु शंकराचार्य की हाल में बनाई गई समाधि स्थल पर शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया।

देहरादून. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) 5 नवंबर यानी गोवर्धन पूजा(govardhan puja) पर चार धामों में एक केदारनाथ में हैं। वे यहां कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। बता दें कि इससे मोदी ने दिवाली जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में जवानों के साथ मनाई है। मोदी यहां आदि गुरु शंकराचार्य की हाल में बनाई गई समाधि स्थल पर शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। उनके भाषण का प्रसारण देश के 87 प्रमुख मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर सीधा हुआ। इन सभी मंदिरों में भाजपा शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष मौजूद रहे। इससे पहले देहरादून एयरपोर्ट पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री की अगवानी की। इसके बाद मोदी केदारनाथ मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की। उन्होंने भगवान केदार का रुद्राभिषेक किया। इसके बाद उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि का अनावरण किया।

ये भारत की आध्यात्मिक समृद्धि का अलौकिक दृश्य
मोदी ने कहा- ये भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है। आज सभी मठों, 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्ति धाम,अनेक तीर्थ क्षेत्रों पर देश के गणमान्य महापुरुष, पूज्य शंकराचार्य परंपरा से जुड़े हुए सभी वरिष्ठ ऋषि, मनीषी और अनेक श्रद्धालु भी देश के हर कोने से केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। 

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यहां आकर अलौकिक अनुभव होता है
मोदी ने कहा-रामचरित मानस में कहा गया है-‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है। हमारे उपनिषदों में, आदि शंकराचार्य जी की रचनाओं में कई जगह नेति-नेति कहकर एक भाव विश्व का विस्तार दिया गया है। रामचरित मानस को भी हम देखें तो इसमें में अलग तरीके से ये भाव दोहराया गया है।

केदारधाम फिर से उठ खड़ा हुआ
मोदी ने 2013 में आई प्राकृतिक आपदा का जिक्र करते हुए कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा। इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं। मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी का, और इन कामों की ज़िम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं।

आध्यात्म और रुढ़ियां
मोदी ने कहा-एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, holistic way में देखता है। आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया। शंकर का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे। आदि शंकराचार्य जी पवित्र मठों की स्थापना की, चार धामों की स्थापना की, द्वादश ज्योतिर्लिंगों का पुनर्जागरण का काम किया। आदि शंकराचार्य जी सबकुछ त्यागकर देश, समाज और मानवता के लिए जीने वालों के लिए एक सशक्त परंपरा खड़ी की।

काशी का भी कायाकल्प
मोदी ने कहा-इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। विश्वनाथ धाम का कार्य बहुत तेज गति से पूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है। अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं। अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों को, आस्था के केन्द्रों को उसी गौरवभाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए। आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है। हमारे यहां सदियों से चारधाम यात्रा का महत्व रहा है, द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन की, शक्तिपीठों के दर्शन की, अष्टविनायक जी के दर्शन की, ये सारी यात्राओं की परंपरा, ये तीर्थाटन हमारे यहां जीवन काल का हिस्सा माना गया है।

भयभीत होना भारत को मंजूर नहीं
मोदी ने कहा-यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है। चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाइवेज से जुड़ रहे हैं। भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है। उत्तराखंड ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जिस तरह का अनुशासन दिखाया, वो  भी बहुत सराहनीय है। भौगोलिक कठिनाइयों को पार कर आज उत्तराखंड ने, उत्तराखंड के लोगों ने 100 प्रतिशत सिंगल डोज़ का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ये उत्तराखंड की ताकत है, सामर्थ्य है।

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आध्यात्मिक चेतना के सूत्रधार थे आदि गुरु शंकराचार्य
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा-आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी भारत की राष्ट्रीय एवं आध्यात्मिक चेतना के सूत्रधार थे। कलयुग में वे भगवान शंकर के साक्षात अवतार स्वरूप हैं। चार धाम यात्रा उत्तराखण्ड की लाइफ लाइन है और ये परियोजनाएं जहां चारधाम यात्रा को सुगम बनाएंगी, पर्यटन को बढ़ावा देंगी वहीं हमारी अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन भी लाएंगी। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत एवं भारतीय संस्कृति का मान, सम्मान एवं स्वाभिमान सम्पूर्ण विश्व में बढ़ रहा है। आज भारत विश्व गुरु के पद पर पुनः आरूढ़ होने के लिए तैयार हो रहा है। यह पुनर्निर्माण कार्य सिर्फ ईंट, बालू, पत्थर एवं इस्पात की सरंचनाएं नही है बल्कि एक स्वप्नदृष्टा व दूरदर्शी नेता के विजन का साकार प्रतिरूप है।

श्री केदार धाम के पुनर्निर्माण एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की समाधि की पुर्नस्थापना के लिए आदिगुरु जैसी ही जीजीविषा, संकल्प और धैर्य की आवश्यकता थी, जो माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में परिलक्षित होती है। 2013 की आपदा में आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधि पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी। आज उनकी समाधि का पुनर्निर्माण और उनकी दिव्य प्रतिमा की स्थापना सम्पूर्ण देश की ओर से आदि गुरु शंकराचार्य जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। आदि गुरु श्री शंकराचार्य हिन्दू धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ जगन्नाथपुरी, द्वारिकापुरी, रामेश्वरम एवं बदरीनाथ के रूप में चार मठों की स्थापना कर भारतवर्ष को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया।जो मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक शिखर में निवास करते हैं तथा मुनियों के द्वारा हमेशा पूजित हैं, देवता-असुर, यक्ष-किन्नर व नाग आदि भी जिनका पूजन किया करते हैं, उन्हीं अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ शिव को मैं नमन करता हूं।

सबका साथ सबका विकास
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा-प्रधानमंत्री को हम विश्वास दिलाते हैं कि आपके द्वारा दिए गए मंत्र ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’’ को अपनाकर आपके सपनों का नया भारत बनाने में हम अपना पूर्ण योगदान देते रहेंगे। वर्ष 2025 में उत्तराखण्ड स्थापना के रजत जयंती वर्ष में हम अपने प्रदेश को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। शिक्षा, जन-स्वास्थ्य, बिजली, पानी, कनेक्टिविटी, रोजगार, महिला एवं बाल विकास, खेती-किसानी, सिंचाई हर क्षेत्र में उत्तराखण्ड ने पिछले पांच वर्षों में अभूतपूर्व तरक्की की है। चार धाम यात्रा उत्तराखण्ड की लाइफ लाइन है और ये परियोजनाएं जहां चारधाम यात्रा को सुगम बनाएंगी, पर्यटन को बढ़ावा देंगी वहीं हमारी अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन भी लाएंगी।

2013 की आपदा में बह गई थी मूर्ति
केदारनाथ धाम में आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची कृष्णशिला पत्थर से बनाई गई है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने 120 टन के पत्थर पर शंकराचार्य की प्रतिमा को तराशा है। साल 2013 में आई आपदा में शंकराचार्य की समाधि बह गई थी। प्रतिमा की चमक के लिए उसे नारियल पानी से पॉलिश किया गया है। प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश में केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों के तहत आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि विशेष डिजाइन से तैयार की गई है। आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे छह मीटर जमीन की खुदाई कर बनाई गई है।

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