कैप्टन को करंट: बिजली संकट से फूटा गुस्सा, सिद्धू का तंज-ठीक से काम करें, तो पावर कट की जरूरत क्या

इस समय पंजाब में बिजली संकट ने न सिर्फ लोगों में गुस्सा पैदा कर दिया है, बल्कि राजनीति भी गर्मा गई है। हैरानी की बात है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने भी अपनी ही सरकार को घेर लिया है। बता दें कि सरकार ने दफ्तरों में एसी न चलाने का आदेश दिया है।
 

चंडीगढ़. पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनावी मौसम के बीच यहां 14-15 घंटे बिजली कटौती ने लोगों को गुस्से से भर दिया है। सरकार ने एसी बंद रखने का आदेश दिया है। इसे लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन पर तंज कंसा है। बता दें कि सरकार ने 10 जुलाई तक सभी सरकारी दफ्तर खोलने के आदेश दिए हैं। ये सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक खुलेंगे। इस दौरान एयर कंडिशन नहीं चलाए जा सकेंगे।

सिद्धू ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए
पहले से ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे नवजोत सिंह सिद्धू ने बिजली कटौती के मामले में भी उन्हें घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सिद्धू ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके कैप्टन पर तंज कसा। सिद्धू ने कहा कि अगर सरकार सही दिशा में काम करे, तो पावर कट की जरूरत नहीं है। सिद्धू ने कहा कि पंजाब के लोग अन्य राज्यों के मुकाबल बिजली का अधिक बिल भरते हैं।

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महंगी खरीदी पर भी उठाया सवाल
सिद्धू ने कहा कि पंजाब औसतन 4.54 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदता है, जबकि यह राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपए है। चंडीगढ़ में 3.44 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीदी जाती है। सिद्धू ने कहा कि पंजाब को बिजली खरीदने के लिए तीन थर्मल प्लांट पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है। यहां से 5-8 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदनी पड़ती है। यह अन्य राज्यों की तुलना में महंगी है।

सिद्धू ने किए कई ट्वीट
 बिजली की लागत, कटौती, बिजली खरीदी के समझौतों की सच्चाई और पंजाब के लोगों को मुफ्त और 24 घंटे बिजली कैसे दें?  पंजाब में बिजली कटौती की कोई आवश्यकता नहीं है या मुख्यमंत्री को कार्यालय के समय या एसी के उपयोग को बंद करने की आवश्यकता नहीं है, अगर हम सही दिशा में कार्य करते हैं।
 पंजाब 4.5 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपए प्रति यूनिट है। पंजाब तीन प्राइवेट थर्मल प्लांट से 5-7 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रहा है।

सिद्धू ने बादल सरकार के बिजली समझौते पर भी सवाल उठाए। बादल सरकार ने तीन प्राइवेट थर्मल प्लांट के साथ बिजली खरीदी समझौते Power Purchase Agreements (PPAs)  किए थे। इसमें कमियां थीं, जिसके चलते अब तक यानी 2020 तक सरकार इन्हें 5400 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। 

पंजाब नेशनल ग्रिड से सस्ती बिजली खरीद सकता है, लेकिन बादल सरकार के समझौते जनता के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। चूंकि कोर्ट से इन समझौतों को कानूनी संरक्षण मिला हुआ है, इसलिए इन पर दुबारा बातचीत संभव नहीं है। लेकिन इसके लिए आगे एक रास्ता है...पंजाब विधानसभा किसी भी समय नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों के आधार पर कैप पावर पर्चेज के लिए पूर्व प्रभावी वाला कानून ला सकती है।

अकाली दल का तर्क
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा-आज पंजाब के कोने-कोने में 10-12 घंटे बिजली के कट लग रहे हैं। जिस समय हमारे चावल की बिजाई होनी है। सारी नहरें सूखी हुई हैं, बिजली बंद है। सारा पंजाब सड़कों पर उतरा हुआ है। ये बिजली की सब्सिडी का बिल बचाने के लिए किया जा रहा है।

केजरीवाल ने उछाला था यह मुद्दा
29 जून को चंडीगढ़ में एक रैली के दौरान अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में बिजली के मुद्दे को करंट दे दिया था। केजरीवाल ने ऐलान करते हुए कहा था कि अगर विधानसभा चुनाव में आप पार्टी की जीत हुई तो 300 यूनिट बिजली फ्री, पुराने घरेलू सारे बिल माफ कर दिए जांएगे। इसके अलावा 24 घंटे पावर सप्लाई भी होगी।(विस्तार से पढ़ने क्लिक करें)

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