बजट 2021 में कोई नई ट्रेन की घोषणा नहीं, इस बार रेलवे को पिछले बजट से 38 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिले

Published : Feb 01, 2021, 10:04 AM ISTUpdated : Feb 01, 2021, 04:13 PM IST
बजट 2021 में कोई नई ट्रेन की घोषणा नहीं, इस बार रेलवे को पिछले बजट से 38 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिले

सार

कोरोकाल में रेलवे को तगड़ा झटका लगा। ट्रेनें बंद होने से बड़ा नुकसान हुआ। रेलवे को पटरी पर लाने यह बजट खास माना गया। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया। कोरोना महामारी के बाद का यह बजट बेहद महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली. देश का आम बजट 2021-22 आज पेश किया गया है जिसे केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। कोरोना महामारी के बाद का यह बजट बेहद महत्वपूर्ण था। वित्तमंत्री ने रेलवे को लेकर भी कई घोषणाएं की हैं।जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोनाकाल में रेलवे को तगड़ा झटका लगा था। 

रेलवे को कोरोना काल में ट्रेनें बंद होने टिकिट कैंसिल का पैसा वापस करने से बड़ा घाटा हुआ था। रेलवे ने कोरोना महामारी के कारण इस साल 1.78 करोड़ से ज्यादा टिकट रद्द किए। इसके कारण रेलवे को 2727 करोड़ रुपए की रकम यात्रियों को लौटानी पड़ी। इसी तरह रेलवे की आमदनी 71% घट गई है।

कोई नई ट्रेन की घोषणा नहीं

रेलवे को पटरी पर लाने यह बजट खास है लेकिन इस बार ट्रेन यात्रियों के लिए कुछ खास नहीं था। वित्त मंत्री द्वारा एक भी नई ट्रेन चलाने की घोषणा नहीं की गई। रेलवे कर्मचारियों को लेकर भी वित्त मंत्री कुछ नहीं बोलीं। हालांकि मेट्रो ट्रेन के विस्तार पर और बजट को लेकर घोषणाएं की गईं। 

रेलवे को मिला इतने करोड़ बजट

नए बजट 2021 के मुताबिकरेलवे के लिए 1 लाख 10 हजार 55 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, 2030 में नई रेल योजनाएं भी शुरू की जाएंगी। रेलवे ने नेशनल रेल प्लान 2030 बनाया है, इससे फ्यूचर रेडी रेलवे सिस्टम बनाया जा सके.. लॉजिस्टिक कॉस्ट कम हो। 

ट्रेन सफर में यात्रियों के लिए आनंद के लिए बजट में विस्टा डोम कोच शुरू करने की घोषणा की गई। दिसंबर 2020 में 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली विस्टा डोम कोच ट्रेन का कामयाब ट्रायल किया गया था। ये कोच टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किए जा रहे हैं। वहीं मालढुलाई को लेकर कोई नई घोषणा नहीं हुई। 

वित्त मंत्री ने अपने पुराने नेशनल रेल प्लान 2030 को दोहराया। उन्होंने कहा कि रेलवे ने नेशनल रेल प्लान 2030 बनाया है ताकि फ्यूचर रेडी रेलवे सिस्टम बनाया जा सके और माल ढुलाई की लागत कम की जा सके। नेशनल रेल प्लान के तहत 2030 तक माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाकर 45% करने का लक्ष्य है। 

फ्यूचर रेडी कॉरिडोर से लेकर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP मोड) से बनने वाले रेल सिस्टम की सूची नीचे दी गई है।

  • जून 2022 तक ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तैयार होगा।
  • सोमनगर-गोमो सेक्शन पीपीपी मोड में बनेगा, गोमो-दमकुनी सेक्शन भी इसी तरह बनेगा।
  • -खड़गपुर-विजयवाड़ा, भुसावल-खड़गपुर, इटारसी-विजयवाड़ा में फ्यूचर रेडी कॉरिडोर बनेंगे।
  • दिसंबर 2023 तक 100% ब्रॉडगेज का इलेक्ट्रिफिकेशन होगा
  • हाई डेंसिटी नेटवर्क, हाई यूटिलाइज नेटवर्क पर ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम शुरू होंगे, ये सिस्टम देश में बनेंगे।

 

टियर-2 शहरों में लाइट्स मेट्रो और नियो मेट्रो शुरू होंगी

बजट भाषण में वित्त मंत्री ने बताया कि 702 किमी ट्रैक पर मेट्रो अभी चल रही हैं। 27 शहरों में 1016 किमी मेट्रो पर काम और चल रहा है। इसके अलावा कम लागत से टियर-2 शहरों में मेट्रो लाइट्स और मेट्रो नियो शुरू होंगी।

कोच्चि मेट्रो में 1900 करोड़ की लागत से 11 किमी हिस्सा बनाया जाएगा। चेन्नई में 63 हजार करोड़ रुपए की लागत से 180 किमी लंबा मेट्रो रूट बनेगा। बेंगलुरु में भी 14788 करोड़ रुपए से 58 किमी लंबी मेट्रो लाइन बनेगी। नागपुर 5976 करोड़ और नासिक में 2092 करोड़ से मेट्रो बनेगी।

सरकार ने रखा सभी रेलवे लाइन को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य

मोदी सरकार ने दिसंबर 2023 तक 100% ब्रॉडगेज (बड़ी लाइन) का इलेक्ट्रिफिकेशन का लक्ष्य रखा गया है। मोदी सरकार में 2014 से 2019 तक यानी 5 सालों में 13,687 किलोमीटर ब्रॉडगेज को इलेक्ट्रिक लाइन में बदला गया। वही, 1 अक्टूबर 2020 तक 41,548 किमी ट्रैक को इलेक्ट्रिफिकेशन किया जा चुका है। यानी कुल 67,420 में से 41,548 ट्रैक इलेक्ट्रिक हो गए हैं। 

पिछले बजट में घोषित 150 ट्रेनों में से एक भी नहीं चली

वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार ने जो 150 नई ट्रेन चलाने की घोषणा की थी, उनमें से अभी तक एक भी ट्रेन को लेकर काम शुरू नहीं हुआ है। 

पिछला बजट..

इस बार रेलवे को 1.10 लाख करोड़ रुपए का बजट दिया है, जो पिछली बार से करीब 38 हजार करोड़ ज्यादा है। पिछले साल भारतीय रेलवे को आम बजट में 72.21 करोड़ रुपये मिले थे। पिछले वर्ष सिर्फ वेतन-भत्ते आदि पर लगभग 92,993.07 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। यह 2019 के बजट से करीब 6000 करोड़ रुपये अधिक था। 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद रेलवे पर वेतन और भत्तों का बोझ बढ़ गया है।

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