नेवी बेस का पहला चरण 2005 में पूरा हुआ था। दूसरे चरण में 2011 में काम शुरू हुआ था। 30 युद्धपोतों के लिए 3,000 फीट लंबा रनवे और डॉकिंग स्पेस और विमानों के लिए हैंगर का निर्माण किया जा रहा है।
नई दिल्ली. डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कर्नाटक में कारवार नेवी बेस पर चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा- वह चाहते हैं कि यह बेस एशिया का सबसे बड़ा नेवी अड्डा हो और अगर जरूरत पड़ी तो बजट बढ़ाया जाएगा।
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एशिया का सबसे बड़ा बेस होगा
इंडियन नेवी के जवानों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा- "मेरा मानना है कि यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद देश के व्यापार, अर्थव्यवस्था और एचएडीआर प्रोग्राम को मजबूती मिलेगी। आने वाले दिनों में यह बेस एशिया का सबसे बड़ा नेवी बेस होगा और इसकी जरूरत पर हम फंड बढ़ाएंगे जो जरूरी होगा हम वह करेंगे।"
19 हजार करोड़ की लागत से बन रहा है बेस
राजनाथ सिंह ने कहा कारवार नेवी बेस पर बुनियादी ढांचा विकास, कोडनेम प्रोजेक्ट सीबर्ड 19 हजार करोड़ रुपए में 1100 एकड़ में फैली है। नेवी बेस का पहला चरण 2005 में पूरा हुआ था। दूसरे चरण में 2011 में काम शुरू हुआ था। 30 युद्धपोतों के लिए 3,000 फीट लंबा रनवे और डॉकिंग स्पेस और विमानों के लिए हैंगर का निर्माण किया जा रहा है। इससे पहले उन्होंने भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ प्रोजेक्ट का हवाई सर्वेक्षण किया था।
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सरकार ने किए बड़े सुधार
उन्होंने कहा मुझे बताया गया है कि सीलिफ्ट सुविधा को अंतिम रूप दे दिया गया है। यह देश में पहला है। उन्होंने कहा कि सरकार ने डिफेंस के फील्ड में बड़े सुधार किए हैं, "हमने सशस्त्र बलों के बीच संयुक्तता लाने के लिए एक कदम उठाया है। इसके लिए, हमारे पास हमारे प्रधान मंत्री का मार्गदर्शन है। हम अपने नौसेना बल की क्षमता चाहते हैं और क्षमता को और मजबूत किया जाना है और अन्य सेवाओं के साथ इसके समन्वय को बढ़ाया जाना है। कोचीन शिपयार्ड में बने स्वदेशी आईएनएस विक्रांत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा- इसे इंडियन नेवी में तब शामिल किया जाएगा जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मनाएगा।