भारत में लगाई जा रही बच्चों की वैक्सीन के दामों में कमी कर दी गई है। कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की कीमत में आधा से अधिक की कटौती कर दी गई है। यह वैक्सीन प्राइवेट जगहों पर भी उपलब्ध है।
नई दिल्ली। बच्चों के लिए बनी कोरोना वैक्सीन की कीमतों में कंपनियां कमी करने लगी है। कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की कीमतों में आधे से अधिक की कमी कर दी गई है। 990 रुपये में बेची जाने वाली वैक्सीन अब 400 रुपये में उपलब्ध होगी। इसमें सभी प्रकार के टैक्स सम्मिलित है। वैसे, सरकार की ओर से बच्चों को फ्री में वैक्सीन लगवाई जा रही है लेकिन अगर प्राइवेट में भी कोई वैक्सीन लगवाना चाहता है तो उसकी जेब पर वजन नहीं पड़ेगा।
तीसरी लहर में बच्चों को लेकर दुनिया थी खौफजदा
दूसरी लहर में बेतहाशा मौतों को देख चुकी दुनिया, तीसरी लहर को लेकर सबसे अधिक सशंकित थी। तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव की आशंका जताई गई थी। दुनिया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस आशंका से परेशान थे कि बच्चों के लिए कोई वैक्सीन भी तक नहीं आई थी तो ऐसे में कैसे बच्चों को महामारी से बचाया जाएगा। हालांकि, महामारी ने बच्चों को बहुत अधिक प्रभावित नहीं किया। सबसे बड़ी उपलब्धि यह कि बच्चों के लिए दुनिया के बाजारों में वैक्सीन भी आसानी से उपलब्ध हो गई।
हर उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध
अब दुनिया के तमाम देशों में बच्चों के वैक्सीन का सफल परीक्षण हो चुका है। कई नामी कंपनियां बच्चों की वैक्सीन का सफल परीक्षण कर विभिन्न देशों को सप्लाई दे रही हैं और करोड़ो बच्चे लाभान्वित भी हो चुके हैं। भारत में भी बच्चों को वैक्सीनेशन कराया जा रहा है।
भारत में कार्बेवैक्स हो रहा यूज
भारत में 12 से 14 साल की उम्र के बच्चों के लिए बीते 15 मार्च से वैक्सीनेशन शुरू हुआ। देश में 12 से 14 साल के बच्चों के लिए कॉर्बेवैक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी ने सरकार के लिए वैक्सीन की कीमत 145 रुपये तय कर रखी है।
कंपनी का वैक्सीन बाजार में भी उपल्ब्ध
कॉर्बेवैक्स वैक्सीन प्राइवेट जगहों पर भी उपलब्ध है। पहले वैक्सीन की कीमत सभी टैक्स सहित 990 रुपये थी। इसकी मूल कीमत टैक्स छोड़कर 840 रुपये थी। लेकिन अब इसकी कीमत 400 रुपये कर दी गई है। टैक्स छोड़ने के बाद इसकी घटी हुई कीमत करीब 250 रुपये है।
कार्बेवैक्स की दो डोज 28 दिनों के गैप पर लेनी होती
कॉर्बेवैक्स की दो डोज बच्चों को दी जा रही है। पहले डोज की दूसरी डोज में 28 दिनों का गैप रह रहा है। यह पहली ऐसी वैक्सीन है जिसे पांच साल के बच्चों को भी लगाने की मंजूरी मिली हुई है।