ये फिल्मी नहीं, रियल घटना है: सिर से फूटा खून का फव्वारा, फिर भी हत्या के आरोपी की छाती पर बैठ गया पुलिसवाला

ये तस्वीर मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले की है। घायल पुलिसवाला जिस शख्स की छाती पर चढ़कर बैठा है, वो कोई सामान्य अपराधी नहीं, हत्या का आरोपी है। लंबे समय से फरार था। लेकिन इस बहादुर पुलिसवाले ने अकेले ही उसे दबोच लिया। वो भी तब, जब आरोपी कद-काठी से पुलिवाले पर भारी था। पढ़िए एक रियल घटना...

नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश. इस तस्वीर का देखकर यह कतई मत समझिए कि ये किसी फिल्म का सीन है! ये पुलिसवाला कोई फिल्मी नहीं, रियल हीरो है। इन्हें उन कानून के रखवालों की लिस्ट में रखा जा सकता है, जिनके कारण अपराधी भी पानी मांगते हैं। यह मामला मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले का है। पुलिसवाले ने जिस शख्स को दबोचा है, वो हत्या का फरार आरोपी है। आरोपी के हमले के बावजूद इस बहादुर पुलिसवाले पूरन ने उसे भागने नहीं दिया और सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही सांस ली। यह तस्वीर और पूरा घटनाक्रम फेसबुक पर शेयर किया नर्मदापुरम जिले के सोहागपुर के एसडीओपी(पुलिस) चौधरी मदनमोहन समर ने। समर देश के ख्यात कवि भी हैं। उन्होंने इस तस्वीर के साथ अपनी कविता की एक पंक्ति भी लिखी। पढ़िए मदन मोहन समर की ही जुबानी...

यह किस्सा नहीं हकीकत है...
वर्दी पर बह रहा यह खून केवल खून नहीं शोणित(लाल रक्त) है तरंगों से उद्वेलित होते महासागर का। यह सामना एक दुबले-पतले आरक्षक(सिपाही) का, दुर्दांत हत्यारे से नहीं, वर्दी के हौसलों से सामना था घातक अपराध का। यह सामना था उस अशोक माथे पर रखने वाले साहस से समाज को पंगु समझने वाले दुःसाहस का। यह ताल थी, कर्तव्य के सामने खड़े हुए दम्भ और अहंकार से चट्टान की तरह अडिग आत्मसम्मान की। और यह उद्घोष था जीतने के उस जुनून का जो केवल हाड़-मांस में नहीं हृदय की असीम शक्ति से ऊर्जा पाता है। बस यही हौसला, यही जुनून, यही सम्मान उसके मन मे हिलौरे ले रहा था, इसीलिए खाकी वर्दी भले ही लाल हो गई, लेकिन दुर्दांत हत्यारा नहीं छूट सका, हमारे जवान पूरन लाल की जकड़ से। शाबाश पूरन।

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कल जब मेरे अनुभाग के थाना माखन नगर (बाबई) के आरक्षक पूरनलाल को पता चला कि हमारे थाने में दर्ज हत्या के अपराध का आरोपी जीवन मीणा नर्मदापुरम(होशंगाबाद) में है और उसके आसपास है। बस फिर क्या था, पूरन ने अपने सारे सूत्र लगा दिए उसकी वास्तविक स्थिति जानने के लिए अंततः सफल हुआ व अकेले दम पर एक खतरनाक हत्यारे को दबोच लिया।

अब हत्यारा कोई सामान्य व्यक्ति तो था नहीं। जिसे महीनों से हमारी पुलिस तलाश कर रही थी और वह चकमा दे रहा था, भला एक दुबला-पतला आरक्षक उसके आगे क्या लगता था। लेकिन उसे पता नहीं था कि यह दुबला पतला आरक्षक ढाई मीटर कपड़े से बनी कोई पेंट-शर्ट नहीं पहने, जिसका रंग केवल खाकी है। यह वर्दीधारी अपने शरीर पर प्रदेश पुलिस की ढाई लाख वर्दियों का विश्वास धारण किए है। अपने को दो हाथों की गिरफ्त में पाकर हत्यारे ने वार किया उन हाथों पर। पकड़ ढीली नहीं हुई तो सिर को निशाना बना कर अपनी ताकत लगा दी। पूरन का सिर लहूलुहान होकर लाल शोणित वर्दी को तर कर गया। लेकिन कमाल का हौसला था इस जवान का भी, यह तक नहीं देखा कि रक्त का फव्वारा कहां से आ रहा है। पटक कर छाती पर बैठ गया उसकी। जैसे मां चंडी ने महिषासुर को दबोच लिया हो। और अब यह हत्यारा जीवन मीणा सलाखों के पीछे है। प्रदेश पुलिस गौरवान्वित है, जिला गौरवान्वित है, थाना गौरवान्वित है। और मैं व मेरा पूरा अनुभाग  गौरवान्वित है।

मैं मेरे हर साथी से कहूंगा आज पूरन आपका आदर्श बन चुका है। मेरी लोकप्रिय कविता की एक पंक्ति आज आप को समर्पित है- मैं तो केवल जामवंत हूं, तुम सारे बजरंगी हो।

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