Yogi की कठपुतली Ramkrishna को Harshad Mehta scam के बाद मिली थी जिम्मेदारी, पढ़ें कामयाबी से बदनामी तक का सफर

चित्रा रामकृष्ण प्रशिक्षण से एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। उन्हें सबसे पहले 1991 में एनएसई में नेतृत्व का पद मिला था। रामकृष्ण ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक्सचेंज के सीईओ के रूप में कई अवैध गतिविधियों में संलिप्तता के चलते वह इन दिनों मुश्किल में हैं।

मुंबई। एनएसई (National Stock Exchange (NSE)) की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) इन दिनों चर्चा में हैं। आयकर विभाग की टीम ने उनके घर की तलाशी ली है तो सीबीआई (CBI) ने पूछताछ की है और उनके देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई है। 59 साल की चित्रा रामकृष्ण ने अपने करियर में बड़ी कामयाबी पाई थी, उन्होंने एनएसई को देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन एनएसई की सीईओ रहते हुए लिए गए कुछ फैसलों के चलते आज उन्हें बदनामी का सामना करना पड़ रहा है।

चित्रा रामकृष्ण प्रशिक्षण से एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। उन्हें सबसे पहले 1991 में एनएसई में नेतृत्व का पद मिला था। रामकृष्ण ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की स्थापना और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक्सचेंज के सीईओ के रूप में कई अवैध गतिविधियों में संलिप्तता के चलते वह इन दिनों मुश्किल में हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरोप लगाया है कि वह एक अज्ञात योगी के इशारे पर काम कर रहीं थीं। उन्होंने योगी की कठपुतली की तरह एनएसई को चलाया। चित्रा ने एनएसई की कई गोपनीय जानकारी उस गुमनाम योगी को दी। 

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हर्षद मेहता घोटाले के बाद मिली थी बड़ी जिम्मेदारी
90 के दशक में बीएसई हर्षद मेहता घोटाले के चपेट में आया था। उस समय भारत सरकार ने स्क्रीन आधारित अखिल भारतीय स्टॉक एक्सचेंज बनाने के लिए पांच सदस्यीय टीम का चुनाव किया था। सरकार ऐसा एक्सचेंज बनाना चाहती थी जो स्वच्छ और पारदर्शी व्यापार करने में सक्षम हो। उसी वक्त रामकृष्ण को एनएसई में नेतृत्व के पद की जिम्मेदारी मिली थी। वह सरकार द्वारा बनाई गई पांच सदस्यीय टीम की सदस्य थी। 

रामकृष्ण और एनएसई में उनके पूर्ववर्ती, रवि नारायण को भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) से उसके तत्कालीन अध्यक्ष एस एस नाडकर्णी ने चुना था। नाडकर्णी बाद में सेबी के अध्यक्ष बने। रामकृष्ण ने 1985 में आईडीबीआई के प्रोजेक्ट फाइनेंस डिवीजन में अपना करियर शुरू किया था। एनएसई में शामिल होने से पहले कुछ समय के लिए उन्होंने बाजार नियामक सेबी के लिए भी काम किया था।

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एनएसई को देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बनाने में निभाई भूमिका
एनएसई के पहले प्रबंध निदेशक आर एच पाटिल, नारायण और रामकृष्ण एनएसई की स्थापना करने वाली कोर टीम का हिस्सा थे। नारायण का कार्यकाल समाप्त होने के बाद रामकृष्ण को 1 अप्रैल 2013 से पांच साल की अवधि के लिए एनएसई बोर्ड द्वारा प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद पर चुना गया था। एनएसई पर नजर रखने वाले इस बात से सहमत हैं कि पाटिल और नारायण के साथ रामकृष्ण ने सेबी और सरकार के समर्थन से एनएसई को देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (एफआईए) के आंकड़ों के अनुसार एनएसई 2021 में दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज था। इसकी कारोबार किए गए अनुबंधों की संख्या सबसे अधिक थी। एनएसई अब ट्रेडों की संख्या के हिसाब से नकद इक्विटी में दुनिया में चौथे स्थान पर है।

2 दिसंबर 2016 को रामकृष्ण ने तत्काल प्रभाव से एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और सीईओ का पद छोड़ दिया था। संभवतः कुछ बोर्ड सदस्यों के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने यह फैसला लिया था। इसके बाद वह जल्द ही उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे।

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