सार
सेबी ने आरोप लगाया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को आकार देने में प्रमुख रोल निभाने वाली एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण हिमालय पर रहने वाले एक योगी की कठपुतली के रूप में काम कर रहीं थीं। चित्रा ने एक गुमनाम योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को लंबे समय तक चलाया।
नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange (NSE) को आकार देने में प्रमुख रोल निभाने वाली एनएसई की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण पर आरोप लगे हैं कि वह हिमालय पर रहने वाले एक योगी की कठपुतली के रूप में काम कर रहीं थीं। आरोप है कि चित्रा ने एक गुमनाम योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को लंबे समय तक चलाया।
एनएसई के पहले एमडी आरएच पाटिल, रवि नारायण और रामकृष्ण उस कोर टीम का हिस्सा थे, जिसने एनएसई को स्थापित किया। रवि नारायण का कार्यकाल पूरा होने के बाद रामकृष्ण को 1 अप्रैल 2013 से पांच साल के लिए एनएसई के एमडी और सीईओ के रूप में चुना गया था। एनएसई पर नजर रखने वाले इस बात से सहमत हैं कि पाटिल और नारायण के साथ रामकृष्ण ने सेबी और सरकार के समर्थन से एनएसई को देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2 दिसंबर 2016 को रामकृष्ण ने तत्काल प्रभाव से एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और सीईओ का पद छोड़ दिया था। संभवत: उन्होंने बोर्ड के कुछ सदस्यों के साथ मतभेद के कारण ऐसा किया। इसके बाद जल्द ही उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लग गए।
सेबी ने दिया था 624.89 करोड़ लौटाने का आदेश
अप्रैल 2019 में सेबी ने एनएसई को 624.89 करोड़ रुपए 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर के साथ नारायण और रामकृष्ण सहित कई व्यक्तियों से लौटाने को कहा। सेबी ने यह आदेश निवेशक संरक्षण और शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में की गई गड़बड़ी के मामले में दिया था। यह मामला प्रकाश में आया था कि कुछ ब्रोकर एनएसई सिस्टम में बेहतर हार्डवेयर स्पेसिफिकेशन के साथ लॉगइन करने में सक्षम थे। इसके चलते उन्हें दूसरे निवेशकों की तुलना में अनुचित पहुंच मिली, जिसका उन्होंने लाभ उठाया। सेबी का अनुमान है कि एनएसई ने 2010-11 से 2013-14 के दौरान अपने को-लोकेशन ऑपरेशन से 624.89 करोड़ रुपए का लाभ कमाया।
सेबी ने रामकृष्ण को वित्त वर्ष 2014 के लिए उनके वेतन का एक चौथाई भुगतान करने के लिए भी कहा और उन्हें पांच साल की अवधि के लिए एक सूचीबद्ध कंपनी या एक बाजार अवसंरचना संस्थान के साथ जुड़ने से प्रतिबंधित कर दिया। अगस्त 2020 में सेबी ने एनएसई पर रामकृष्ण के वेतन की शर्तों को बदलने और उन्हें छोड़ने पर एक उच्च बिदाई राशि देने के लिए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। स्टॉक एक्सचेंजों के शीर्ष प्रबंधन के मुआवजे के पैकेज के लिए सेबी की अनुमति आवश्यक है। रामकृष्ण एमडी और सीईओ के रूप में अपने कार्यकाल के तीन वर्षों में 44 करोड़ रुपए और अंतिम आठ महीनों में 23 करोड़ रुपए वेतन के रूप में घर ले गईं।
11 फरवरी, 2022 को सेबी ने एनएसई और उसके पूर्व एमडी और सीईओ रामकृष्ण, नारायण और अन्य को समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के रूप में आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति से संबंधित मामले में प्रतिभूति अनुबंध नियमों का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया। नियामक ने रामकृष्णा पर 3 करोड़ रुपए, एनएसई, नारायण और सुब्रमण्यम पर 2-2 करोड़ रुपए और वीआर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। नरसिम्हन मुख्य नियामक अधिकारी और मुख्य अनुपालन अधिकारी थे।
योगी चला रहा था एनएसई
सेबी के 11 फरवरी के आदेश में कहा है कि रामकृष्ण 20 वर्षों तक एक फेसलेस "सिद्ध पुरुष/योगी" (जो हिमालय पर्वतमाला में निवास करते हैं) द्वारा निर्देशित थी। यह अज्ञात व्यक्ति एनएसई चला रहा था। रामकृष्ण उसके हाथ की कठपुतली थी। सेबी द्वारा रामकृष्ण के खिलाफ दर्ज शिकायतों को एनएसई को भेजे जाने के बाद भी रामकृष्ण अज्ञात व्यक्ति से मार्गदर्शन और निर्देश ले रही थी।
25 सितंबर, 2016 को रामकृष्ण द्वारा अज्ञात व्यक्ति को भेजे गए ईमेल से यह स्पष्ट हुआ है। इसमें कहा गया है "स्वामी, हम अभी भी शिकायत के संबंध में ब्रीफिंग नोट तैयार कर रहे हैं। हालांकि, आरोपों पर कम से कम प्रथम दृष्टया प्रतिक्रियाएं तैयार की गई हैं। मैं इसे आपके मार्गदर्शन और निर्देशों के लिए रख रही हूं। जैसे ही मुझे कवर नोट मिलेगा मैं उसे भेज दूंगी।" रामकृष्ण और योगी के बीच हुए इस पत्र-व्यवहार को सेबी ने जारी किया है।
रामकृष्ण ने योगी को दी गोपनीय जानकारी
सेबी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यह अज्ञात व्यक्ति है एनएसई चला रहा था। रामकृष्ण के सभी निर्णय अज्ञात व्यक्ति द्वारा उनके कार्यकाल के अंत तक लिए गए या प्रभावित हुए। रामकृष्ण ने एनएसई की कुछ आंतरिक गोपनीय जानकारी जैसे संगठनात्मक संरचना, लाभांश परिदृश्य, वित्तीय परिणाम, मानव संसाधन नीति और संबंधित मुद्दों, नियामक को प्रतिक्रिया आदि को अज्ञात व्यक्ति के साथ एक ईमेल आईडी rigyajursama@outlook.com पर अपने पत्राचार को संबोधित करके साझा किया। ऐसा 2014 से 2016 की अवधि के दौरान किया गया।
अब यह सामने आया है कि सुब्रमण्यम को समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के रूप में नियुक्त करने के लिए फेसलेस "योगी" जिम्मेदार था। सेबी के अनुसार, सुब्रमण्यम कथित तौर पर अज्ञात व्यक्ति का सहयोगी था, जिसने रामकृष्ण के फैसले को प्रभावित किया और उसे 'समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार' के रूप में फिर से नामित किया गया, जिससे उन्हें हर साल मुआवजे का भुगतान काफी बढ़ गया।
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