छत्तीसगढ़ में Mohan Bhagwat:'बिना धर्मांतरण के दुनिया में हिंदू धर्म का प्रसार करना होगा; कमजोरी पाप है'

RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में सबको एक साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि जो कमजोर होता है, उनक ही शोषण होता है। भागवत 19 नवंबर को छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में तीन दिवसीय घोष शिविर(musical bands camp) को संबोधित कर रहे थे। वे गुरुनानक जयंती पर गुरुद्वारे भी गए।

मुंगेली, छत्तीसगढ़. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(RSS) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने भारत को 'विश्व गुरु' बनाने की दिशा में सबको एक साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया है। भागवत ने मौजूदा समय को कलयुग बताते हुए संगठन की शक्ति पर जोर दिया। डॉ. भागवत छत्तीसगढ़ के के मुंगेली जिले के मदकू द्वीप(Madku Dweep) पर आयोजित तीन दिवसीय 'घोष शिविर' यानी musical bands camp के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। डॉ. भागवत ने कहा कि भारतीस समाज विविधताओं से भरा है। इसमें कई देवी-देवता हैं, लेकिन सभी को एक साथ आगे ले जाना है, जो कि कई सदियों से चली आ रही है। डॉ. भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म की शिक्षा सारी दुनिया को देने की जरूरत है, लेकिन वो भी बिना किसी को बदलने की कोशिश किए। बता दें कि रायपुर से करीब 90 किमी दूरी पर स्थित मदकू शिवनाथ नदी पर स्थित एक द्वीप है। और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन मंदिरों के लिए ख्यात है।

कमजोरी पाप है, अकेला व्यक्ति मजबूत नहीं हो सकता
डॉ. भागवत ने स्पष्ट कहा कि जो कमजोर हैं, उनका ही शोषण होता है। डॉ. भागवत ने स्वामी विवेकानंद के कथन को उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कमजोरी पाप है। शक्ति का अर्थ है संगठित तरीके से जीना। अकेला व्यक्ति मजबूत नहीं हो सकता है। कलयुग में संगठन को ही शक्ति माना जाता है। भागवत ने कहा कि हमें सभी को एक साथ लेना होगा, किसी को बदले बिना। भारत एक धार्मिक देश है और उसने दुनिया को सच्चाई का रास्ता दिखाया है। डॉ. भागवत ने जोर दिया कि हमारा धर्म; जिसे लोग हिंदू धर्म कहते हैं, सारी दुनिया को देने की जरूरत है। हमें धर्मांतरण की कोशिश किए बिना दुनिया को एक तरीका सिखाना होगा, जो पूजा नहीं, बल्कि जीने का एक तरीका है।

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सत्य की हमेशा जीत होती है
कार्यक्रम में संगीत बैंड की प्रस्तुति की डॉ. भागवत ने सराहना करते हुए कहा कि आप लोगों ने इस शिविर में देखा कि हर कोई एक अलग वाद्ययंत्र बजा रहा था, वे उन्हें एकजुट रखता था, वो थी उनकी धुन। देश में विभिन्न भाषाएं, प्रांत हैं, लेकिन हमारे मूल में एक ही धुन है। जो कोई भी धुन को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, वो देश की लय से तय होगा। भागवत ने कहा कि भारत को विश्व गुरु(विश्व शिक्षक) बनाने के लिए समन्वय के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। सत्य की हमेशा जीत होती है, झूठ की कभी जीत नहीं होती। भारत के लोगों को दुनिया में विशेष माना जाता है, क्योंकि प्राचीन काल में हमारे संतों ने सत्य को जाना था। अगर हम इतिहास देखें, तो पता चलेगा कि जब कोई(देश) ठोकर खा गया, भ्रमित हो गया, तो वह रास्ता खोजने के लिए भारत आया।

भागवत ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने पूरी दुनिया को एक परिवार माना। बिना किसी की पहचान बदलने की कोशिश किए दुनिया का दौरा किया। गणित और आयुर्वेद जैसे ज्ञान और अवधारणा( knowledge and concepts) का प्रसार किया। चीन भी यह कहने ने नहीं हिचकिचाता है कि भारत ने 2000 साल पहले उनकी संस्कृति को प्रभावित किया था। हम उन संतों के वंशज हैं, जो सच्चाई को जानते हैं।

(तस्वीर:श्री गुरुनानक देव जी के पवित्र प्रकाश पर्व के अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने गुरुद्वारा गोविन्द नगर, पंडरी, रायपुर (छत्तीसगढ़) में माथा टेका। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उन्हें सरोपा भेंट किया।)

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