Agriculture Bill: अब MSP और बिजली बिल के लेकर अड़े किसान नेता; आज सिंघु बॉर्डर पर तय करेंगे अगली प्लानिंग

तीनों कृषि कानून (AgricultureBill) निरस्त करने के ऐलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा 20 नवंबर को अपनी अगली रणनीति पर मंथन करेगा। किसना नेताओं ने कहा है कि संसद औपचारिक रूप से कानून रद्द करे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 20, 2021 1:56 AM IST / Updated: Nov 20 2021, 10:31 AM IST

नई दिल्ली. संयुक्त किसान मोर्चा 20 नवंबर को एक अहम बैठक कर रहा है। इसमें तीनों कृषि कानून निरस्त होने के बाद अगली रणनीति पर मंथन होगा। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेताओं की 9 सदस्यीय कमेटी की यह बैठक सिंघु बॉर्डर पर होगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने  गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था। 

राकेश टिकैत का बयान
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा-MSP भी एक बड़ा सवाल है। उस पर भी क़ानून बन जाए, क्योंकि किसान जो फसल बेचता है उसे वह कम कीमत पर बेचता है, जिससे बड़ा नुक़सान होता है। अभी बातचीत करेंगे, यहां से कैसे जाएंगे। अभी बहुत से क़ानून सदन में है, उन्हें फिर ये लागू करेंगे। 

MSP और बिजली बिलों को लेकर अड़े
संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी के कृषि कानून निरस्त करने के ऐलान का स्वागत किया है, लेकिन यह भी कहा कि संसद में औपचारिक रूप से कानून रद्द किया जाए। MSP बनाई जाए और बिजली संसोधन बिल वापस लिया जाए। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद 21 नवंबर को पंजाब के किसान संगठनों की बैठक होगी। इसके बाद तय होगा कि आंदोलन का अगली रणनीति क्या होगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ कृषि कानून के खिलाफ नहीं था, फसलों के लाभकारी मूल्य और वैधानिक गारंटी के लिए भी था।

मोदी ने कृषि कानून निरस्त करने के ऐलान के बाद कहा था
प्रधानमंत्री ने कहा था ‘‘हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।’’ 

उन्होंने आगे कहा था, "इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।" 

प्रधानमंत्री ने कहा था, " मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।" क्लिक करके पूरी स्पीच पढ़ें

राकेश टिकैत ने दिया ये बयान
मोदी के ऐलान के बाद राकेश टिकैत ने बयान दिया था कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है। टिकैत ने बताया कि संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर चर्चा कर रहा है, ताकि अगली रणनीति बनाई जा सके। टिकैत ने tweet किया-आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उन दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। 

किसान नेता नरेश टिकैत और राकेश टिकैत के बड़े भाई ने tweet किया-किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे । यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी। जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे। जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा। 

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