सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर तीनों कृषि कानून(FarmLaws) वापस लेने का ऐलान किया। लेकिन किसान नेता टिकैत बंधु राकेश और नरेश टिकैत आंदोलन छोड़ने को अभी राजी नहीं है।
 

नई दिल्ली. तीनों कृषि कानून निरस्त किए जाने के ऐलान के बावजूद किसान नेता हठ पर अड़े हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर तीनों कृषि कानून(FarmLaws) वापस लेने का ऐलान किया है। इसके बाद भी किसान नेता और विपक्ष मोदी की आलोचना करने में लगा है। वहीं, किसान नेता अभी भी आंदोलन खत्म करने का तैयार नहीं हैं।

राकेश टिकैत ने दिया ये बयान
राकेश टिकैत
ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कमेटी बनाने और बिजली अमेंडमेंट समेत अन्य मुद्दों पर अभी बात होनी बाकी है। टिकैत ने बताया कि संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर चर्चा कर रहा है, ताकि अगली रणनीति बनाई जा सके। टिकैत ने tweet किया-आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उन दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। 

किसान नेता नरेश टिकैत और राकेश टिकैत के बड़े भाई ने tweet किया-किसान बारूद के ढेर पर बैठे हैं। आंदोलन से ही जिंदा रहेंगे । यह जिम्मेदारी सबको निभानी होगी। जमीन से मोहभंग करना सरकार की साजिश है। जमीन कम हो रही है। किसान से जमीन बेचने और खरीदने का अधिकार भी यह लोग छीन लेंगे। जाति और मजहब को भूलकर किसानों को एक होना होगा। 

राहुल गांधी ने tweet किया-देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!

राइटर और एक्टिविस्ट अरुंधति राय ने tweet किया-नरेंद्र मोदी को चाहिए कि किसानों को उनकी बदहाली के लिए माफी मांगें, उनके खिलाफ प्रचार करें, बीजेपी नेता उन्हें खालिस्तानी कहें। बीजेपी को भारत की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

कांग्रेस का tweet आया-टूट गया अभिमान, जीत गया मेरे देश का किसान।हिंदुस्तान के किसान की शक्ति के सामने क्रूर सरकार को झुकना पड़ा। राहुल गांधी जी ने महीनों पहले ही क्रूर सरकार को किसान की शक्ति का अहसास करवा दिया था, अंततः अहंकारी सरकार को काले कानून रद्द करने पड़े। अन्नदाता को विजय की शुभकामनाएं। यह जीत देश के किसानों की जीत है, लोकतंत्र की जीत है। यह जीत देश के किसानों की जीत है, लोकतंत्र की जीत है। किसानों की जीत ने स्पष्ट कर दिया है- भारत में कभी तानाशाही हावी नहीं हो सकती, आखिर तानाशाह को झुकना पड़ा।

प्रियंका गांधी ने tweet किया-600 से अधिक किसानों की शहादत 350 से अधिक दिन का संघर्ष @narendramodi जी आपके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल कर मार डाला, आपको कोई परवाह नहीं थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने किसानों का अपमान करते हुए उन्हें आतंकवादी, देशद्रोही, गुंडे, उपद्रवी कहा, आपने खुद आंदोलनजीवी बोला। उन पर लाठियां बरसाईं, उन्हें गिरफ़्तार किया।  अब चुनाव में हार दिखने लगी तो आपको अचानक इस देश की सच्चाई समझ में आने लगी कि यह देश किसानों ने बनाया है, यह देश किसानों का है, किसान ही इस देश का सच्चा रखवाला है और कोई सरकार किसानों के हित को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती।  आपकी नियत और आपके बदलते हुए रुख़ पर विश्वास करना मुश्किल है। किसान की सदैव जय होगी।  जय जवान, जय किसान, जय भारत। किसानों की जीत ने स्पष्ट कर दिया है- भारत में कभी तानाशाही हावी नहीं हो सकती, आखिर तानाशाह को झुकना पड़ा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने tweet किया-आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि गुरुनानक जयंती के पवित्र अवसर पर हर पंजाबी की मांगों को मानने और तीन कृषि कानून निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद। केंद्र सरकार किसानों के विकास के लिए मिलकर काम करेगी। वहीं पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि यह किसान संगठनों की जीत है।

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा-किसानों की मेहनत रंग लाई है। देश के हालात को देखते हुए पीएम को 3 कृषि कानून वापस लेने पड़े, आज का फैसला यूपी चुनाव को देखते हुए लिया गया। चुनाव जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं पीएम और बीजेपी। आप नहीं जानते कि उन्हें पश्चिम बंगाल जैसा झटका लगा।

हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा-हम गुरु पर्व के अवसर पर #FarmLaws को निरस्त करने के केंद्र के फैसले का स्वागत करते हैं। समाज में शांति और सद्भाव की बहाली के लिए यह एक सराहनीय कदम है। मैं सभी किसान संगठनों से अपना विरोध समाप्त करने की अपील करता हूं। हम किसानों के कल्याण के लिए प्रयास जारी रखेंगे।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा-देश और उसके किसानों के हित में, सभी 3 #FarmLaws को निरस्त करने के पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत है। आपके खेत और परिवार लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं और उन्हें आपका वापस स्वागत करने में खुशी होगी। किसानों के साथ खड़ा है बीजद।

बसपा चीफ मायावती ने कहा-किसानों का बलिदान रंग लाया है। 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय बहुत पहले हो जाना चाहिए था। फिर भी, किसानों की एमएसपी पर कानून की मांग लंबित है। बसपा की मांग है कि संसद के आगामी सत्र में केंद्र इस संबंध में (एमएसपी पर) कानून लाए।

किसान नेता भानु प्रताप सिंह ने कहा-मैं इस कदम का स्वागत करता हूं। 75 साल से किसान विरोधी नीतियों के चलते कर्ज के कारण किसानों की मौत हो गई। मैं पीएम मोदी से एक कृषि समिति बनाने और फसल की दरें तय करने का आग्रह करता हूं। आज की तरह घोषणा से किसानों का कर्ज एक दिन में माफ हो।

SUCI (कम्युनिस्ट) बिहार राज्य के सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा ने यह साबित कर दिया कि यह कानून किसानों के हित के विपरीत था। उन्होंने कहा कि 12 महीने से चले आ रहे इस देशव्यापी किसान आंदोलन में 700 किसान शहीद हुए। लेकिन किसानों ने अंततः कारपोरेट घरानों के हमलों को विफल कर दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास आखिर जनता ही लिखती है। अरुण कुमार ने मांग की कि सरकार इसी तरह बिजली बिल भी वापस ले और 50 प्रतिशत लाभकारी मूल्य पर एमएसपी पर किसानों की उपज खरीद की गारंटी करे।

अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन(All India Kisan Khet Mazdoor Sangathan) के अध्यक्ष सत्यवान ने कहा-किसान आंदोलन की यह ऐतिहासिक जीत है। इस जीत का विश्वव्यापी महत्व है। एक बार फिर यह साबित हो गया है कि इतिहास लोगों द्वारा लिखा जाता है। लड़ाई अभी भी जारी है। देश भर में किसानों के खिलाफ दर्ज सभी प्रकार के मामले अभी वापस लिए जाने बाकी हैं। किसान आंदोलन के अपराधियों को अभी तक दंडित नहीं किया गया है। मोदी सरकार को शहीद किसान परिवारों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
 

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