उत्तराखंड सरकार ने 51 मंदिरों को किया सरकारी नियंत्रण से मुक्त, सद्गुरु ने बताया ऐतिहासिक फैसला

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने  उत्तराखंड सरकार के 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए तारीफ की। उन्होंने इसे खुशी का विषय बताया। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 10, 2021 12:26 PM IST / Updated: Apr 10 2021, 06:19 PM IST

चेन्नई. ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने  उत्तराखंड सरकार के 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए तारीफ की। उन्होंने इसे खुशी का विषय बताया। 

दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने बद्रीनाथ और केदारनाथ समेत राज्य के 51 मंदिरों और तीर्थस्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का ऐलान किया है। सद्गुरु ने अपने ट्वीट में कहा, तीरथ सिंह रावत, उत्तराखंड की सरकार और #FreeTemples अभियान समर्थन करने वाले सभी 3 करोड़ लोगों को बधाई। मैं सभी के प्रति अत्यंत आभार व्यक्त करता हूं। 

सद्गुरु ने कहा, यह खुशी की बात है कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने 51 मंदिरों को बोर्ड से मुक्त करने ऐलान किया है। यह हिंदुओं की आस्था के लिए बड़ा कदम है। हिंदू आस्था समुदाय के हाथ में होना चाहिए। श्रद्धालुओं के हृदय के बिना कोई आस्था नहीं होती। 

भक्तों द्वारा चलाया जाए मंदिर
उन्होंने कहा, सरकारें इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन में सुधार कर सकती है, लेकिन मंदिर को भक्तों द्वारा चलाया जाना चाहिए। मुझे खुशी है कि उत्तराखंड सरकार को इस बात का एहसास है और मुख्यमंत्री को मेरी विशेष बधाई और आशीर्वाद। 

अन्य सरकारें भी उठाएं ये कदम
सद्गुरु ने कहा, यह पूरे देश के लिए स्वागत योग्य कदम है। मैं चाहता हूं कि और राज्यों के मुख्यमंत्री इस पर ध्यान दें और इस दिशा में आगे बढ़ें। हालांकि, अन्य राज्यों में यह उत्तराखंड जितना आसान नहीं है। लेकिन जो भी मुद्दे हैं, उन्हें हल किया जाना चाहिए। 

उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि तमिलनाडु की नई सरकार भी इस दिशा में कदम उठाएगी, क्योंकि राज्य के मंदिर बुरी स्थिति में हैं। 

सद्गुरु चला रहे  #FreeTemples अभियान
सद्गुरु ने मार्च में तमिलनाडु के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से आजाद कराने के लिए  #FreeTemples अभियान शुरू किया है। इस अभियान को 3.5 करोड़ लोगों का समर्थन मिल चुका है।

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