धार्मिक स्थलों की यात्रा पर द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के प्रावधान के तहत भारत से सिख और हिंदू तीर्थयात्री हर साल पाकिस्तान जाते हैं। वहीं, पाकिस्तानी तीर्थयात्री भी हर साल भारत आते हैं। बता दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या बहुत कम रह गई है।
अमृतसर. पाकिस्तान से सिख तीर्थयात्री भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी 25 दिवसीय तीर्थयात्रा शुरू करने के लिए अटारी-वाघा सीमा पर पहुंचे। प्रोटोकॉल आफिसर अरुण पाल ने बताया कि पेशावर और पाकिस्तान के अन्य हिस्सों से 48 सिख तीर्थयात्री अटारी-वाघा सीमा पर पहुंचे। वे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, दिल्ली, उत्तराखंड और हेमकुंड साहिब जाएंगे। वे 25 दिनों तक रहेंगे, जिसके बाद वे लौटेंगे। एक तीर्थ यात्री ने बताया-पहले हम अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जाएंगे और फिर दिल्ली और उत्तराखंड जाएंगे। मुख्य रूप से हम यहां हेमकुंड साहिब के दर्शन करने आए हैं। हमारे पास 25 दिनों का वीजा है।
हर साल दोनों तरफ से तीर्थयात्री आते हैं
धार्मिक स्थलों की यात्रा पर द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के प्रावधान के तहत भारत से सिख और हिंदू तीर्थयात्री हर साल पाकिस्तान जाते हैं। वहीं, पाकिस्तानी तीर्थयात्री भी हर साल भारत आते हैं। इससे पहले भारत से महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर भारत के 495 सिखों को पाकिस्तान उच्चायोग(Pakistan High Commission) ने वीजा जारी किया था। यह आयोजन 21 से 30 जून तक हुआ था।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या
पाकिस्तान में तीन राष्ट्रीय जनगणना के आधार पर एक रिपोर्ट तैयारी की गई थी। इसके मुताबिक, वहां 22,10,566 हिंदू, 18,73,348 ईसाई,1,88,340 अहमदिया,74,130 सिख, 14,537 बहाई और 3,917 पारसी रहते हैं। पाकिस्तान में 11 अन्य अल्पसंख्यक समुदाय भी रहते हैं। लेकिन इनकी संख्या दो हजार से भी कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 1787 बौद्ध, 1151 चीनी, 628 शिंटो, 628 यहूदी, 1418 अफ्रीकी धर्म अनुयायी, 1522 केलाशा धर्म अनुयायी और छह लोग जैन धर्म का पालन करने वाले निवास करते हैं।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हालत खराब
इस्लामिक देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की हालत खराब है। विनाशकारी बाढ़(devastating floods) ने पाकिस्तान को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। सब्जियों और अन्य जरूरी चीजों के लिए अब वो भारत से मदद की आस लगाए बैठा है, लेकिन पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को लेकर पक्षपात कर रहा है। सिंध प्रांत में बाढ़ पीड़ित हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को रिलीफ कैम्प से बाहर भगाने का मामला काफी तूल पकड़ा हुआ है। इस सबके बीच हिंदुओं ने पीड़ितों की मदद के लिए मंदिरों के दरवाजे खोल दिए हैं। उधर, बांग्लादेश में दुर्गा पूजा से पहले फिर हमले बढ़ गए हैं। 11 सितंबर को इस्लामवादियों ने कुश्तिया(Kushtia) में मां दुर्गा की मूर्तियों की तोड़फोड़ की थी। इससे पहले गणेश चतुर्थी के पहले भी निर्माणाधीन मूर्तियों के तोड़ने का मामला सामने आया था। दुर्गा पूजा से पहले यह चौथा हमला है।
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