संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत ने कहा कि वह अपने विकास के एजेंडे के सभी पहलुओं में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण पर बल दे रहा है।
नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत ने कहा कि वह अपने विकास के एजेंडे के सभी पहलुओं में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण पर बल दे रहा है। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने महासभा में कहा,'हम महिलाओं के विकास के साथ-साथ महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रतिमान को लेकर आगे बढ़े हैं। मौजूदा वक्त में भारत सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने और लैंगिक भेदभाव के सभी रूपों को खत्म करने पर बल दे रहा है।'
स्मृति ईरानी ने ऑनलाइन किया संबोधन
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को ऑनलाइन माध्यम से महासभा को संबोधित किया और इस दौरान उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और उनकी देखभाल सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इसके तहत केंद्रों में एक छत के नीचे महिलाओं को चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक, कानूनी, पुलिस और आश्रय जैसी सहूलियतें मुहैया कराई जा रही है।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को ऑनलाइन संबोधित करते हुए पाकिस्तान और चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था। पीएम ने कहा था, 'आतंकवाद और युद्ध ने लाखों जिंदगियां छीन ली हैं।'
भारत ने बोला जोरदार हमला
उधर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान के निरंतर असत्य दुष्प्रचार का जवाब देते हुए भारत ने जोरदार हमला बोला। भारत ने कहा, 'पाकिस्तान का एकमात्र उद्देश्य आतंकियों को पालने-पोसने के कृत्य पर चर्चा से बचने के लिए बेवजह का शोर मचाना है।' संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने कहा, 'आतंकवाद, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, शिया व अहमदिया मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा और उनके साथ भेदभाव की पाकिस्तान की कोई बात दुनिया से छिपी नहीं है। बावजूद पाकिस्तान दूसरे देशों पर अनावश्यक आक्षेप लगाता है।'
पाकिस्तान पर साधा निशाना
भारत के प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा, 'पाकिस्तान पहले अपने देश के अल्पसंख्यकों के प्रति सहनशीलता दिखाए और पड़ोसी देशों के साथ अच्छा व्यवहार करे, तब वह दूसरों पर आक्षेप लगाए।' उन्होंने आगे कहा, 'मानवाधिकारों को लेकर कोई भी समझौता या मान्यता पाकिस्तान में नहीं मानी जाती। वहां पर हर तरह के अल्पसंख्यक का केवल उत्पीड़न होता है। इसीलिए, वहां पर हिंदू, सिख, ईसाई, शिया, अहमदिया और अन्य अल्पसंख्यकों तबकों की आबादी कम होती जा रही है।'