16 जनवरी से देश में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई। पहले दिन 1.91 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई। जबकि 2 दिनों में 2,24,301 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। पहले दिन सिर्फ 100 में साइड इफेक्ट दिखे। दोनों दिनों में करीब 447 लोगों में प्रतिकूल असर पड़ा। दूसरे दिन यानी रविवार को कुछ राज्यों में वैक्सीनेशन नहीं हुआ। उधर, वैक्सीनेशन ड्राइव के साथ ही कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने में लग गई है।
नई दिल्ली. कोरोना के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की भारत में 16 जनवरी से शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत की। पहले दिन देशभर में करीब 1.91 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई। जबकि 2 दिनों में 2,24,301 लोगों को वैक्सीन लगाई गई। इसमें पहले दिन सिर्फ 100 लोगों यानी 0.05% लोगों में मामूली साइड इफेक्ट दिखाई दिए। अगर 16 और 17 जनवरी की बात करें, तो कुल 447 लोगों में मामूली प्रतिकूल असर दिखाई दिया। इनमें से सिर्फ 3 को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी। इसी बीच 19 के अलावा 18 जनवरी को महाराष्ट्र में टीकाकरण नहीं हुआ। ओडिशा में भी पहले दिन के लाभार्थियों की मॉनिटरिंग के चलते रविवार को टीकाकरण नहीं हुआ। एडिशनल सेक्रेट्री, हेल्थ डॉ. मनोहर अगनानी ने बताया कि मंगलवार को 6 राज्यों में 553 सेशंस में वैक्सीनेशन हुआ। इन राज्यों में है-आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मणिपुर और तमिलनाडु। इस बीच वैक्सीनेशन को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने मोदी सरकार से कई सवाल पूछे हैं।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट
पहले दिन 60% लोगों को ही वैक्सीन लगाई जा सकी। जबकि सरकार ने ऐलान किया था कि 3,006 जगहों पर 3 लाख 15 हजार 37 लोगों को टीका लगेगा। वैक्सीन की साइट्स जरूर बढ़कर 3351 हो गई थीं, वैक्सीन सिर्फ 1 लाख 91 हजार 181 को ही लगाई जा सकी। वैक्सीनेशन के साथ ही उसके मामूली साइड इफेक्ट भी सामने आए। इसमें दिल्ली में 52 लोगों को मामूली तकलीफ हुई। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में 14-14, तेलंगाना में 11 और ओडिशा में 3 मामले सामने आए। वैक्सीन के साइड इफेक्ट में दर्द, चक्कर आना, पसीना आना और सीन में भारीपन देखा गया। कोविन एप में तकनीकी गड़बड़ी के चलते महाराष्ट्र में 17-18 जनवरी को टीकाकरण नहीं होगा। यहां अगले हफ्ते से यह प्रक्रिया शुरू होगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार से राज्य के सभी लोगों के लिए पर्याप्त वैक्सीन की मांग की है।
वैक्सीनेशन वाले टॉप-15 राज्य (पहले दिन)
आंध्र प्रदेश-16,963
बिहार-16,401
उत्तर प्रदेश-15,975
महाराष्ट्र-15,727
कर्नाटक-12,637
प. बंगाल-9,578
राजस्थान-9,279
ओडिशा-8,675
गुजरात-8,557
केरल-7,206
मध्यप्रदेश-6,739
छत्तीसगढ़-4,985
हरियाणा-4,656
तेलंगाना-3,600
तमिलनाडु-2,728
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरेजवाला ने वैक्सीन के 20 लाख डोज ब्राजील को देने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने वैक्सीनेशन के प्रचार को भी गलत बताया। सुरजेवाला ने कहा कि जब भारत के लोगों को ही पर्याप्त वैक्सीन नहीं मिल पा रही है, तो ब्राजील को निर्यात क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि भारत की पूरी जनसंख्या को वैक्सीन देने से पहले निर्यात नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'सभी के लिए कोरोना वैक्सीन' मोदी सरकार की नीति होनी चाहिए। बता दें कि ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर वैक्सीन के 20 लाख डोज मांगे थे। इसके बाद भारत सरकार ने इसकी अनुमति दे दी। सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित कोविशील्ड की वैक्सीन लेने ब्राजी का एक विमान भारत आ चुका है।
सुरजेवाला ने मोदी सरकार से सवाल पूछे कि कितने लोगों को वैक्सीन फ्री दी जाएगी? यह कहां मिलेगी? सुरेजावाला ने हवाला दिया कि भारत के ड्रग कंट्रोलर वीजी सोमानी के अनुसार मोदी सरकार ने वैक्सीन की 16.5 मिलियन (165 लाख) खुराकें मंगाई हैं (5.5 मिलियन कोवैक्सीन एवं 11 मिलियन कोवीशील्ड)। यानी हर व्यक्ति को 2 डोज देने के बाद 82.50 लाख डॉक्टर और कोरोना वॉरियर्स आदि को यह डोज मिलेगा। सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि देश की 135 करोड़ जनता को वैक्सीन कैसे मिलेगी, सरकार यह बताए? सुरेजवाला ने कोरोना वैक्सीन की कीमत पर भी सवाल उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि 2011 में कांग्रेस सरकार ने देश को पोलियो मुक्त बनाया। लेकिन कोरोना वैक्सीन को लेकर जो प्रचार हो रहा है, वो कभी नहीं हुआ।
मंत्रियों ने क्यों नहीं लगवाई वैक्सीन
इससे पहले कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कहा कि वैक्सीन लगवाने मंत्री आगे क्यों नहीं आए? शुरुआत मुखिया को करनी चाहिए थी। इससे पता चलता कि टीका सुरक्षित है कि नहीं। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी तरह क दुष्प्रचार, अफवाहों या गलतफहमियों पर ध्यान न दें। उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन को संक्रामक रोग के खिलाफ लड़ाई में संजीवना बताया।
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