बाल दुष्कर्म के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त, सिनेमाघरों को दिया ये आदेश

6 महीने में 24,212 बाल दुष्कर्म के मामले सामने आए। 

नई दिल्ली. बच्चों के खिलाफ बढ़ते दुष्कर्म मामलों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सख्ताही बर्ती है और सिनेमाघरों को लोगों को जागरुक करने के लिए एक शॉर्ट फिल्म और चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर दिखाए जाने का आदेश भी दिया है। इसके साथ ही इस वीडियो क्लिप को पूरे देश में टीवी चैनल्स पर भी चलाने के आदेश दिए हैं। सिनेमाघरों में क्लिप को फिल्म शुरू होने से पहले दिखाया जाएगा।

विशेष कोर्ट गठित करने के दिए निर्देश

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बढ़ते बाल दुष्कर्म के मामले के चलते सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिया कि जिन जिलों में बाल यौन उत्पीड़न के 100  से ज्यादा बाल यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज हो वहां पर पोक्सो कानून के तहत स्पेशल कोर्ट गठित की जाए। कोर्ट ने आदेश दिया कि ये अदालतें 60 दिन में काम करना शुरू कर दें।

केंद्र सरकार को फंड देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पोक्सो के तहत गठित होने वाली विशेष कोर्ट के गठन का फंड केंद्र सरकार देगी। दरअसल, 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए मामले पर संज्ञान लिया था। वरिष्ठ वकील वी. गिरी को न्यायमित्र नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने गिरी से जरूरी दिशा-निर्देश पारित करने के सुझाव मांगे हैं। 1 जनवरी से 30 जून तक देश में बच्चों से दुष्कर्म की कुल 24,212 घटनाएं हुईं, जिनमें एफआईआर दर्ज है। कोर्ट ने ऐसे मामलों से निकलने के लिए ढांचागत संसाधन जुटाने का दिशा-निर्देश तय किया है।

(फोटो सोर्स- गूगल)

क्या है पोक्सो एक्ट ?

पोक्सो एक्ट का मतलब है यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम है। पोक्सो एक्ट 2012 में अंतर्गत बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो एक्स 2012 बनाया था। इसके तहत 12 साल तक के बच्चों से दुष्कर्म करने वाले दोषियों को मौत की सजा दी जाएगी। 

1. भारतीय दंड संहिता, 1860 के अनुसार सहमती से सेक्स करने की उम्र 16 साल से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी गई है। यदि कोई व्यक्ति 18 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ उसकी सहमति और असहमति से सेक्स करता है तो वह सजा का हकदार होगा।

B. यदि कोई पति या पत्नि 18 साल से कम उम्र के जीवनसाथी के साथ यौन कृत्य कराता है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है और उसे भी सजा दी जाएगी।

2. यह कानून पूरे देश में लागू होता अगर कोई 18 साल की उम्र के बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न करता है तो उसे पोक्सो एक्ट के तहत सजा दी जाएगी।

3. इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का दायित्व अभियुक्त (Accused) पर होता है। इसमें झूठीा आरोप लगाने, झूठी जानकारी देने या फिर किसी की छवि को खराब करने के लिए सजा का भी प्रावधान है।

4. पोक्सो एक्ट के तहत चाइल्ड ट्रेफिकिंग यानी बच्चों का व्यापार करने वालों के लिए भी सख्त सजा का प्रावधान है।

5. यह अधिनियम बाल संरक्षक की जिम्मेदारी पुलिस को सौंपता है। इसमें पुलिस को बच्चे की देखभाल और संरक्षण के लिए तत्काल व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है। जैसे- बच्चे के लिए तत्कालीन इलाज देना और बच्चों को आश्रय गृह में रखना।

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