सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को दी नजरबंदी की अनुमति, नहीं कर पाएंगे फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल

सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद एक्टिविस्ट गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) को नजरबंदी में रहने की अनुमति दी है। वह इस दौरान मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2022 9:42 AM IST / Updated: Nov 10 2022, 03:24 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एल्गर परिषद-माओवादी लिंक मामले में जेल में बंद एक्टिविस्ट गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) को नजरबंदी में रखे जाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कुछ शर्तें भी रखी है, जिनका पालन गौतम को घर में नजरबंद रहने के दौरान करना होगा। वे मोबाइल फोन और इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया गौतम नवलखा की मेडिकल रिपोर्ट को खारिज करने का कोई कारण नहीं है। आज से 48 घंटे के भीतर मूल्यांकन किए जाने के बाद गौतम को नजरबंद किया जा सकता है। गौतम को 2,40,000 रुपए जमा करने होंगे। नजरबंदी के दौरान पुलिस की तैनाती पर यह पैसा खर्च होगा। उन्हें नजरबंद रहने के दौरान मोबाइल फोन, इंटरनेट, लैपटॉप या किसी अन्य कम्युनिकेशन डिवाइस का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।

बातचीत के लिए पुलिस देगी मोबाइल फोन
बातचीत के लिए नवलखा को दिन में एक बार पुलिस द्वारा मोबाइल फोन दिया जाएगा। वह अधिकतम 10 मिनट बात कर पाएंगे। उन्हें नवी मुंबई से बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी। गौतम अपने परिवार के दो सदस्यों से सप्ताह में एक बार मिल सकेंगे। उनकी मुलाकात अधिकतम 3 घंटे की हो सकती है। उनके घर पर पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। कैमरों को रूम के बाहर लगाया जाएगा। कैमरे लगाने का खर्च गौतम को देना होगा।

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गौरतलब है कि एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के कोरेगांव भीमा में कार्यक्रम किया था। इसके एक दिन बाद हिंसा भड़क गई थी। गौतम नवलखा पर कोरेगांव-भीमा हिंसा और माओवादियों के साथ संबंध रखने का आरोप है। पुलिस का आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से जुड़ाव था। वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे। नवलखा और अन्य आरोपियों के विरूद्ध गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। 

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