ED डायरेक्टर संजय मिश्रा का तीसरा कार्यकाल बढ़ाना अवैध, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 31 जुलाई के बाद दूसरा डायरेक्टर संभालेगा पदभार

Published : Jul 11, 2023, 03:29 PM ISTUpdated : Jul 11, 2023, 06:09 PM IST
Supreme Court

सार

कोर्ट ने कहा कि सरकार कानून में बदलाव कर सकती है लेकिन तीसरी बार कार्यकाल को बढ़ाया जाना पूरी तरह से अवैध है।

ED Director 3rd teure illegal: केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर के कार्यकाल को तीसरे बार बढ़ाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। एपेक्स कोर्ट ने ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा के कार्यकाल को तीसरी बार बढ़ाए जाने को अवैध करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार कानून में बदलाव कर सकती है लेकिन तीसरी बार कार्यकाल को बढ़ाया जाना पूरी तरह से अवैध है। कोर्ट के फैसले के बाद अब संजय मिश्रा 31 जुलाई तक ही डायरेक्टर पद पर बने रहेंगे। ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी चीफ का एक्सटेंशन 2021 के फैसले का उल्लंघन है। 

FATF की समीक्षा होने तक पद पर बने रहने का केंद्र ने किया अनुरोध

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) द्वारा टेरर फंडिंग संबंधित एक जांच की महत्वपूर्ण समीक्षा किया जा रहा है। इसलिए उनको कुछ दिनों तक पद पर बने रहना दिया जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार की चिंताओं को  देखते हुए मिश्रा को 31 जुलाई तक पद पर बने रहने पर सहमति दी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि ईडी के वर्तमान डायरेक्टर संजय मिश्रा की जगह तत्काल कोई दूसरा चीफ तलाशना मुश्किल है। वह मनी लॉन्ड्रिंग में कई मामलों की जांच की निगरानी कर रहे हैं। सरकार ने बताया कि नवम्बर 2023 तक उनका कार्यकाल है तबतक उनको पद पर बने रहने दिया जाए। 

2018 में बढ़ाया गया था ईडी चीफ का कार्यकाल

केंद्र सरकार ने संजय मिश्रा को नवम्बर 2018 में ईडी का डायरेक्टर नियुक्त किया था। दो साल के लिए नियुक्त किए गए संजय मिश्रा का कार्यकाल जब 2020 में खत्म होने वाला था तो केंद्र सरकार ने रिटायरमेंट के पहले एक साल के लिए उनके सर्विस का एक्सटेंशन और बढ़ा दिया। इसके बाद 2021 में फिर से उनका एक्सटेंशन बढ़ा दिया गया। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ एनजीओ कॉमन कॉज ने याचिका दायर की थी। याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने सुनवाई कर रही थी। 

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