SC/ST 'आरक्षण' दूसरी पीढ़ी को नहीं मिलनी चाहिए, SC ने क्यों कही यह बात?

Published : Aug 01, 2024, 07:12 PM ISTUpdated : Aug 02, 2024, 01:13 AM IST
supreme court

सार

जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि सब कोटा में उन जातियों को वर्गीकृत किया जा सकता है जो पिछड़ी रह गई हों और उनसे ज्यादा भेदभाव किया जा रहा। 

SC/ST reservation sub quota: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति को मिलने वाले 15 प्रतिशत आरक्षण में सब-कोटा की मंजूरी दे दी है। 7 जजों की संविधान पीठ ने 6-1 से निर्णय सुनाया। हालांकि, जजों ने कहा कि अनुसूचित जाति की पहली पीढ़ी को ही आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि सब कोटा में उन जातियों को वर्गीकृत किया जा सकता है जो पिछड़ी रह गई हों और उनसे ज्यादा भेदभाव किया जा रहा।

अनुसूचित जाति में विभिन्नता...

संविधान पीठ ने कहा कि आरक्षण पा चुकी पीढ़ी की रिव्यू भी होनी चाहिए। यह पता लगाना भी आवश्यक है कि आरक्षण मिलने के बाद उनकी अगली पीढ़ी सामान्य स्तर पर आई या नहीं। अगर सामान्य स्थिति हो गई हो तो उनको आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।

SC वर्ग में समरूपता नहीं है इसमें विभिन्नता

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग में समरूपता नहीं है इसमें विभिन्नता है। सिस्टम में भेदभाव के चलते एससी/एसटी ऊंचाई हासिल नहीं कर सका। संविधान का आर्टिकल 14 सब-कोटा बनाने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य है कि उपेक्षित वर्ग में भी विभिन्नताएं रहीं हैं। उनको अलग-अलग सामाजिक परिस्थितियों में रहना पड़ा है। सीजेआई ने मध्य प्रदेश का उदाहरण दियाकि 25 में 9 जातियां ही एससी में है। यानी यहां भी एक समान स्थिति नहीं है।

उधर, सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस बेला एम.त्रिवेदी ने अपनी अलग राय देते हुए कहा कि अनुसूचित जाति को जाति के आधार पर नहीं बल्कि क्लास के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए।

20 साल पहले के फैसले को पलटा

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ही 20 साल पहले के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोटा के अंदर एससी/एसटी के लिए सब कैटेगरी को तर्कसंगत आधार पर बनाया जाएगा। उसके लिए मानक भी तय होंगे। राज्य अपनी मर्जी से सब कैटेगरी के लिए रिजर्वेशन तय नहीं कर सकेंगे। सभी राज्यों के कार्य न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत होंगे। कोर्ट ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में पांच जजों की खंडपीठ के निर्णय को पलट दिया है। उस समय कहा था कि कोटे के अंदर सब कैटेगरी तर्कसंगत नहीं है।

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