सरकार सुनिश्चित करे कि कोई भी व्यक्ति भूखे पेट न सोए, समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे खाना: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पेश हुए। श्री भूषण ने जिरह करते हुए कोर्ट को बताया कि 2011 की जनगणना के बाद देश की जनसंख्या में वृद्धि हुई है और एनएफएसए के तहत लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ी है।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 6, 2022 11:11 AM IST / Updated: Dec 06 2022, 04:45 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि केंद्र सरकार यह देखे कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक खाद्यान्न पहुंचे और किसी को भी खाने की कमी न हो। यह सुनिश्चित करना हमारी संस्कृति है कि कोई भी खाली पेट न सोए। कोर्ट ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी व असंगठति क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या के साथ नया डेटा चार्ज मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की हुई दुर्दशा से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका की सुनवाई जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही है।

क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि एनएफएसए के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि केंद्र कुछ नहीं कर रहा है। भारत संघ ने कोविड के दौरान लोगों को खाद्यान्न सुनिश्चित किया है। हम यह जानते हैं। सब यह जानते हैं कि हमारी संस्कृति में है कि हम यह सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति खाली पेट न सोए। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत अब समाज के अंतिम व्यक्ति तक खाद्यान्न पहुंचे ताकि उसकी भूख की पूर्ति हो सके।

जनसंख्या बढ़ने के साथ भूखे लोगों की संख्या भी बढ़ी

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पेश हुए। श्री भूषण ने जिरह करते हुए कोर्ट को बताया कि 2011 की जनगणना के बाद देश की जनसंख्या में वृद्धि हुई है और एनएफएसए के तहत लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ी है। अगर इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया तो कई पात्र और जरूरतमंद लाभार्थी कानून के तहत लाभ से वंचित हो जाएंगे। प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि हाल के वर्षों में लोगों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है, लेकिन वैश्विक भूख सूचकांक में भारत तेजी से फिसला है।
 

Share this article
click me!