अदाणी समूह (Adani case) को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) द्वारा पेश किए गए रिपोर्ट मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार और सेबी से उनके विचार मांगे हैं।
नई दिल्ली। अदाणी समूह (Adani case) को लेकर पिछले दिनों अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद कंपनी को भारी नुकसान हुआ है। वहीं, इसको लेकर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर हमलावर है। बजट सत्र के दौरान संसद में इसको लेकर काफी हंगामा हुआ। अदाणी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं लगाई गईं हैं। इन याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शेयर बाजार में भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए। कोर्ट ने अदाणी समूह को लेकर हिंडनबर्ग द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट और इससे जुड़ी जनहित याचिकाओं पर केंद्र सरकार और बाजार नियामक सेबी की राय मांगी।
समिति बनाने का दिया सुझाव
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। इस पीठ में जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं। पीठ ने शेयर बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक तंत्र को मजबूत बनाने सहित विभिन्न मुद्दों पर वित्त मंत्रालय और अन्य से इनपुट मांगा। कोर्ट ने निवेशकों की सुरक्षा के लिए मजबूत प्रथाओं को लागू करने और डोमेन विशेषज्ञों व अन्य लोगों की एक समिति बनाने का सुझाव दिया।
क्या है मामला?
हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अदाणी ग्रुप को कई लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। अदाणी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 108 बिलियन डॉलर तक कम हो गया था। अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को कट-पेस्ट बताया है और 88 में से 68 सवालों को फर्जी बताया है।
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पिछले कुछ दिनों में अडाणी ग्रुप की कंपनियों कमबैक किया है। अडाणी ग्रुप के कई शेयर 60 से 70% तक गिर गए थे। इसमें जबर्दस्त रिकवरी देखी जा रही है। अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड, अडाणी विल्मर और अडाणी ट्रांसमिशन जैसे शेयरों में तेजी देखी जा रही है। ग्रुप के ज्यादातर शेयर की कीमत 5 से 20% तक बढ़े हैं।
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