CAA प्रदर्शनकारियों पर जुर्माना लगाने पर SC ने योगी सरकार को फटकारा, कहा- इसे रोको, वरना हम रद्द कर देंगे

Published : Feb 11, 2022, 10:56 PM ISTUpdated : Feb 11, 2022, 11:55 PM IST
CAA प्रदर्शनकारियों पर जुर्माना लगाने पर SC ने योगी सरकार को फटकारा, कहा- इसे रोको, वरना हम रद्द कर देंगे

सार

सुप्रीम कोर्ट ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर जुर्माना लगाने के मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि सरकार इसे रोके, नहीं तो हम ऐसा करेंगे।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सीएए (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर जुर्माना लगाने के मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को फटकार लगाई है। 2019 में एंटी सिटिजनशिप (संशोधन) एक्ट के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों से जुर्माना वसूल रही है। 

कोर्ट ने इसे बंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह राज्य सरकार को कार्यवाही वापस लेने का अंतिम अवसर दे रही है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोर्ट खुद इसे कानून का उल्लंघन करने के चलते रद्द कर देगी। कोर्ट ने कहा कि आपको कानून के अनुसार तय प्रक्रियाओं का पालन करना होगा। कृपया इसकी जांच करें। हम 18 फरवरी तक इसके लिए एक मौका दे रहे हैं।

मामले की सुनवाई कर रही जज डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने आरोपियों की संपत्तियां कुर्क करने की कार्यवाही के संचालन के संबंध में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे वह शिकायतकर्ता, न्यायनिर्णायक और अभियोजक हो। बेंच ने कहा कि कार्यवाही वापस लें, नहीं तो हम इसे इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए रद्द कर देंगे।

परवेज आरिफ टीटू की याचिका पर कोर्ट ने दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। परवेज ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि मनमाने तरीके से नोटिस भेजा गया है। एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर नोटिस दिया गया है, जिसकी मौत छह साल पहले हो गई थी। 94 साल के एक और 90 साल के दो बुजुर्गों को नोटिस दिया गया। 

833 उपद्रवियों के खिलाफ दर्ज हुए थे 106 केस
राज्य सरकार की आधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि 833 उपद्रवियों के खिलाफ 106 एफआईआर दर्ज किए गए थे। इसके खिलाफ 274 रिकवरी नोटिस जारी किए गए थे। 274 नोटिसों में से 236 में वसूली के आदेश पारित किए गए, जबकि 38 मामले बंद कर दिए गए। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 और 2018 में दो आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि न्यायिक अधिकारियों को क्लेम ट्रिब्यूनल में नियुक्त किया जाना चाहिए, लेकिन इसके बजाय आपने अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) नियुक्त किए।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा, "मैडम प्रसाद, यह सिर्फ एक सुझाव है। यह याचिका दिसंबर 2019 में एक तरह के आंदोलन या विरोध के संबंध में भेजे गए नोटिसों के एक सेट से संबंधित है। आप उन्हें एक कलम के स्ट्रोक से वापस ले सकते हैं। 236 नोटिस यूपी जैसे बड़े राज्य में कोई बड़ी बात नहीं है। अगर आप नहीं सुनने वाले हैं तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पालन कैसे किया जाना चाहिए।"

 

ये भी पढ़ें

महिला सांसद ने पूछा-देश में क्या कहीं तिरंगा फहराने से रोक है, अगर है तो यह देश के लिए...सुनिए पूरी स्पीच

'हरामी नाला' के कीचड़ में जाकर छुप गए थे 6 पाकिस्तानी मछुआरे, लेकिन BSF के कमांडो ने उन्हें ढूंढ़ ही निकाला

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हिजाब पर दिया इस्लाम की पहली पीढ़ी का उदाहरण, महिलाएं पर्दे में रहती थीं या नहीं

PREV

Recommended Stories

पतली एग्जिट, ताड़ के पत्तों का ढांचा, बड़ी DJ नाइट और फिर चीखों से गूंज उठा गोवा नाइटक्लब
गोवा नाइटक्लब फायर ट्रेजेडी: 25 मौतें, CM ने बैठाई मजिस्ट्रेटी जांच-खुलेंगे कई चाैंकाने वाले राज