केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर एक्शन लिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया है। आखिर, PFI पर इतनी बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी कब और कैसे हुई, आइए जानते हैं।
PFI Banned in India: केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया। PFI के अलावा इससे जुड़े 8 और संगठनों पर एक्शन लिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया है। इसके साथ ही PFI के सभी संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। आखिर, इतने बड़े एक्शन की तैयारी कब हुई और सरकार ने PFI पर बैन लगाने के लिए क्या-क्या किया, आइए जानते हैं।
गृह मंत्री के कर्नाटक दौर से हुई प्लानिंग :
PFI पर इतने बड़े एक्शन की प्लानिंग वैसे तो 5 साल पहले यानी 2017 से ही शुरू हो गई थी। जांच एजेंसियों ने इस आतंकी संगठन के खिलाफ सबूत जुटाना शुरू कर दिए थे। लेकिन, इसको बैन करने की प्लानिंग का खाका इसी साल अगस्त में खींचा गया। दरअसल, जब गृह मंत्री अमित शाह कर्नाटक दौरे पर गए थे तो यहां उन्होंने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के साथ मीटिंग की थी। इसके बाद ही पीएफआई को बैन करने का खाका खींचा गया।
अगस्त के आखिरी हफ्ते में NSA की एंट्री :
अगस्त के आखिरी हफ्ते में गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के साथ मीटिंग की। इसमें PFI के खिलाफ सबूत जुटाने के साथ ही उस पर एक्शन लेने का खाका खींचा गया। इस बैठक के बाद अलग-अलग टीमें बनीं, जो PFI के नेटवर्क से लेकर फंडिंग तक की जांच में जुट गईं।
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पीएम मोदी से मिला ग्रीन सिग्नल :
पीएमओ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पूरी प्लानिंग को पीएम मोदी के सामने रखा गया। वहां से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद NSA डोभाल काम को अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए। डोभाल आईएनएस विक्रांत के कार्यक्रम में शामिल होने केरल गए। इसके बाद उन्होंने केरल के टॉप पुलिस अफसरों के साथ बैठक की। बाद में वो मुंबई पहुंचे और यहां भी महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अफसरों से मीटिंग की। बाद में उन्होंने 15 सितंबर को NIA और ED के अफसरों के साथ बैठक कर पूरा प्लान बताया।
22 सितंबर को पहला छापा : PFI के 106 मेंबर गिरफ्तार
NIA और ED के अफसरों से बैठक के बाद डोभाल ने सभी अधिकारियों को 22 सितंबर की सुबह ही एक्शन का आदेश दे दिया। एनआईए और ईडी की टीमों ने 15 राज्यों के 100 से भी ज्यादा पीएफआई के ठिकानों पर छापा मारा और 106 सदस्यों को गिरफ्तार किया। इस दौरान केरल से 22, महाराष्ट्र से 20, कर्नाटक से 20, तमिलनाडु से 10, असम से 9, उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र प्रदेश से 5, मध्य प्रदेश से 4, पुडुचेरी से 3, दिल्ली से 3 और राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
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27 सितंबर को दूसरा छापा : PFI के 250 से ज्यादा मेंबर अरेस्ट
एनआईए और ईडी की टीमों ने दूसरा छापा 27 सितंबर को मारा। इस दौरान 8 राज्यों में एक्शन लेते हुए 250 से ज्यादा पीएफआई सदस्यों को अरेस्ट किया गया। इस छापेमारी में कर्नाटक से 80, यूपी से 57, असम और महाराष्ट्र से 25-25, दिल्ली से 32, मध्य प्रदेश से 21, गुजरात से 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस तरह देशभर के 23 राज्यों में फैले पीएफआई के नेटवर्क पर सर्जिकल स्ट्राइक से इस आतंकी संगठन की कमर तोड़ दी।
28 सितंबर : PFI पर UAPA के तहत लगाया 5 साल का बैन
28 सितंबर की सुबह केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी UAPA के तहत PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों पर बैन लगा दिया। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। बता दें कि UAPA के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को 'गैरकानूनी' या 'आतंकवादी' घोषित कर सकती है।
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