सुरक्षित सेरोगेसी से जुड़ा बिल लोकसभा में पास, डॉक्टर पैसे बनाने की मशीन बने तो कड़ी कार्रवाई का प्रावधान

लोकसभा (Lok sabha) ने बुधवार को सुरक्षित सेरोगेसी (Safe surrogacy) और गलत काम करने वालों के लिए कार्रवाई के प्रावधान वाला विधेयक पारित कर दिया।

नई दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को सुरक्षित सेरोगेसी (Safe surrogacy) और गलत काम करने वालों के लिए कार्रवाई के प्रावधान वाला विधेयक पारित कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (The Assisted Reproductive Technology) 2020 पर करीब 4 घंटे हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक में संसद की स्थायी समिति के सुझावों के साथ ही आम लोगों से मिले सुझावों को शामिल किया गया है। 
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विधेयक में 21 साल से ज्यादा उम्र की महिला को सहायताप्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (The Assisted Reproductive Technology) अपनाने का अधिकार दिया गया है। कई सांसदों ने विधेयक की इस तकनीक के उद्योग बनने की आशंका जताई। लेकिन बिल में प्रावधान है कि इस तकनीक का इस्तेमाल करके कोई डाक्टर यदि दुरुपयोग करता है और गलत काम कर पैसा कमाने का प्रयास करता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी।

डॉक्टरों का सम्मान, लेकिन गलत काम की छूट नहीं : मांडविया 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने कहा कि वह डाक्टरों (Doctors) का सम्मान करते हैं, लेकिन पैसे के लिए गलत काम की छूट किसी को नहीं दी जा सकती है। विधेयक पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने सेरोगेसी विधेयक के राज्यसभा (Rajyasabha) में पारित हुए बिना इस विधेयक की वैधता पर सवाल उठाया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरोगेसी विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में गया। सेरोगेसी विधेयक की तरह इस विधेयक को भी राज्यसभा ने प्रवर समित के पास भेजा है और समिति ने इस पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिसे शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि सरोगेसी विधेयक के साथ ही इस विधेयक को लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में पारित होने के लिए एक साथ पेश किया जाएगा। उनका कहना था कि दोनों के लिए एक संयुक्त बोर्ड बनाया जाएगा, जिसमें 10 विशेषज्ञ होंगे। इन दोनों विधेयकों का विनियमन किया जाना आवश्यक है, क्योंकि दुरुपयोग होने की संभावना है।  

विधेयक के प्रावधान 
- यदि महिला बच्चा चाहती है तो इस विधेयक में जिस तकनीक की बात कही गई है उसका सहारा लेकर वह बच्चा पा सकती है। 
- विधेयक में यह भी प्रावधान है कि यदि कोई मां बच्चा दे रही है तो उसको किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हो। उसकी देखभाल का जिम्मा सुनिश्चित हो सके इसके लिए बीमे का प्रावधान किया गया है। 
- तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए उम्र भी तय होनी चाहिए और इसलिए इसमें महिला की उम्र कम से कम 21 वर्ष होने का प्रावधान किया गया है। 

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विपक्षी सांसद बोले- अविवाहित महिला न बने हिस्सा
चर्चा के दौरान सांसद नवनीत राणा ने कहा कि संबंधियों में ही सेरोगेसी ज्यादा सुरक्षित है। इस स्थिति में परिवार का ध्यान देना बहुत जरूरी है, इसलिए परिवार में यह व्यवस्था हो। सेरोगेसी के मामले में शर्त बिल्कुल नहीं होनी चाहिए और मां का ध्यान रखा जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस की प्रतिभा मंडल ने कहा कि अविवाहित महिला के साथ इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो, यह सुनिश्चित होना चाहिए। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ज्यादातर सदस्यों ने विधेयक का विरोध किया है इसलिए यह तय होना चाहिए कि यह कानून पैसा कमाने की मशीन न बने। चर्चा में RSP के एन के प्रेमचंद्रन, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एडवोकेट एम एम आरिफ और कई अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया।  

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