5 दमदार भाषण: जब सुषमा ने अटल की तुलना राम और युधिष्ठिर से की, विपक्ष को मंथुरा-शकुनी बताया

भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की छवि ईमानदार, मुखर और मजबूत नेता की थी। उनकी भाषण शैली का केवल पक्ष ही नहीं, विपक्ष भी मुरीद था। वे अपनी बात काफी दमदार तरीके से पेश करने के लिए जानी जाती थीं। सुषमा को एक बेहतरीन नेता होने के अलावा उनके दमदार भाषणों के लिए भी याद किया जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2019 7:02 AM IST / Updated: Aug 07 2019, 01:34 PM IST

नई दिल्ली. भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की छवि ईमानदार, मुखर और मजबूत नेता की थी। उनकी भाषण शैली का केवल पक्ष ही नहीं, विपक्ष भी मुरीद था। वे अपनी बात काफी दमदार तरीके से पेश करने के लिए जानी जाती थीं। सुषमा को एक बेहतरीन नेता होने के अलावा उनके दमदार भाषणों के लिए भी याद किया जाएगा।

पांच दशक लंबे राजनीतिक करियर में सुषमा ने कई ऐतिहासिक भाषण दिए। इसी तरह से उन्होंने 1996 में एक भाषण दिया था। जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिन में गिर गई थी।

इस मौके पर सुषमा ने संसद को संबोधित करते हुए कहा था, ''मैं यहां विश्वासमत का विरोध करने के लिए खड़ी हुई हूं। हर वक्ता ने चर्चा की शुरुआत जनादेश की व्याख्या करते हुए की। क्या ये जनादेश कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए था। अध्यक्षजी जनादेश की कोई भी व्याख्या आप स्वीकार करें, लेकिन एक दृश्य की आप अनदेखी नहीं कर सकते। एक दल की सरकार और बिखरा हुआ विपक्ष, आज एक बिखरी हुई सरकार है और एकजुट विपक्ष है। यह पहली बार नहीं हआ, जब सही अधिकारी राज्य के अधिकार से वंचित कर दिया गया हो। त्रेता युग में यही घटना भगवान राम के साथ भी घटी थी। राजतिलक करते-करते वनवास दे दिया गया था। द्वापर में यही घटना धर्मराज युधिष्ठिर के साथ घटी थी। अध्यक्ष जी जब एक मंथरा और एक शकुनी राम और युधिष्ठिर जैसे महापुरुषों को सत्ता से बाहर कर सकते हैं तो हमारे खिलाफ तो कितनी मंथराएं और कितने शकुनी सक्रिय हैं। हम राज्य में कैसे बने रह सकते थे?''

 

'सदन का 10 दिनों का इतिहास धोखाधड़ी और बेवफाई का है'
पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान भी सुषमा स्वराज ने एक दमदार भाषण दिया था। 1997 में संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ''अध्यक्षजी पिछले दिनों में इस देश के राजनैतिक रंगमंच पर जो कुछ भी घटा है वो बेहद शर्मनाक है। इन 10 दिनों का इतिहास धोखाधड़ी और बेवफाई का है।''

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सुषमा ने पाकिस्तान को आतंकवाद की फैक्ट्री बताया। उन्होंने कहा था, ''जब तक सीमापार से आतंक की खेती बंद नहीं होगी, भारत पाकिस्तान के बीच बातचीत नहीं हो सकती।'' उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा था, ''आप हमारी नीति पर सवाल उठाते हैं। नवाज शरीफ जी ने पहले भी 4 फॉर्मूला सुझाए थे, तब हमने कहा था कि फॉर्मूला केवल एक है कि पाकिस्तान आतंकवाद छोड़े। जब सीमा पर जनाजे उठ रहे हों, तो बातचीत की आवाज अच्छी नहीं लगती।''

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जब सुषमा ने यूएन को ही सुधार की नसीहत दे डाली थी

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