किसान आंदोलन: 26 मई को 'काला दिवस' मनाने की तैयारियों के बीच सरकार से बातचीत करने को राजी हुए संगठन

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 26 मई को 6 महीने पूरे हो जाएंगे। कुछ किसान संगठनों ने इस दिन को 'काला दिवस' मनाने का ऐलान किया है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिर से बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। बता दें कि कोरोना संक्रमण के बीच आंदोलन जारी रखने से किसान संगठनों की किरकिरी हो रही है। इसी दिन मोदी सरकार के भी 7 साल पूरे होंगे।
 

Asianet News Hindi | Published : May 22, 2021 3:07 AM IST / Updated: May 22 2021, 08:40 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच आंदोलन जारी रखने से किरकिरी का सामना कर रहे किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फिर से बातचीत का प्रस्ताव रखा है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 26 मई को 6 महीने पूरे हो जाएंगे। कुछ किसान संगठनों ने इस दिन को 'काला दिवस' मनाने का ऐलान किया है। इसी दिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने 7 साल पूरा कर लेगी। 

22 जनवरी के बाद नहीं हुई बातचीत...
संयुक्त किसान मोर्चा ने कोरोना संकट को देखते हुए केंद्र सरकार से फिर बातचीत शुरू करने की पहल की है। लेकिन पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि धरना कृषि कानून वापस लेने के बाद ही समाप्त होगा। इस बीच कई जगहों पर ऑनलाइन धरना भी दिया जा रहा है। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। इस बीच किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हुईं, लेकिन बेनतीजा निकलीं। आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। केंद्र सरकार कानून में सुधार करने को तैयार है, लेकिन किसान संगठन उन्हें रद्द करने का मांग पर अड़े हुए हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को कई बार बातचीत का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि कानून रद्द होने तक कुछ नहीं होगा।

कोरोना के आगे झुके
माना जा रहा है कि कोरोना के बीच धरना होने से किसान नेताओं की किरकिरी हो रही है। सिंघू बार्डर पर कोरोना से दो आंदोलनकारी किसानों की जान चली गई है। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन ने आंदोलन खत्म करने की अपील की है। यूनियन (किसान सरकार) के प्रवक्ता भोपाल सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन का इस समय कोई औचित्य नहीं रह गया है। देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है। किसान कोरोना से मर रहे हैं। मुश्किल हालात में उनके जीवन का संकट है। अगर वह बचेंगे तो ही तो अन्नदाता कहलाएंगे। अभी जीवन और फसलों को बचाने का समय है। भविष्य में आंदोलन जारी रखा जा सकता है। पंजाब के पटियाला निवासी 50 वर्षीय सरदार बलवीर सिंह और लुधियाना के 70 वर्षीय सरदार महेंद्र सिंह का निधन कोरोना से मंगलवार को हो गया था। ये लोग सिंघू बार्डर पर आंदोलन कर रहे एक किसान ग्रुप से थे। 

इन्हीं दबावों के चलते संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलवीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ आदि के हस्ताक्षर के साथ पीएम को बातचीत के लिए पत्र लिखा गया है। किसान नेताओं ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ फसलों की खरीद के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का कानून बनाया जाए। नेताओं ने गांवों में फैलते संक्रमण को रोकने की भी बात रखी है।

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