चुनाव आयोग का बड़ा झटका: टीएमसी, एनसीपी और कम्युनिस्ट पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीना, AAP अब नेशनल पार्टी

Published : Apr 10, 2023, 08:10 PM ISTUpdated : Apr 10, 2023, 11:46 PM IST
Election Commission

सार

आम आदमी पार्टी के लिए खुश होने वाली खबर है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो गया है।

ECI announces National Parties: इलेक्शन कमीशन ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से नेशनल पार्टी का दर्जा छीन लिया है। उधर, आम आदमी पार्टी के लिए खुश होने वाली खबर है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो गया है। राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की सोच रहीं ममता पार्टी, शरद पवार को चुनाव आयोग का फैसला किसी झटके से कम नहीं है। यूपी के प्रमुख दल राष्ट्रीय लोकदल का भी राज्य पार्टी का दर्जा छीन गया है।

इन पार्टियों का राज्य पार्टी का दर्जा खत्म

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी बेल्ट में मजबूत पकड़ वाली राष्ट्रीय लोकदल का राज्य पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग ने छीन लिया है। रालोद के मुखिया जयंत चौधरी हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाती हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश में बीआरएस, मणिपुर में पीडीए, पुडुचेरी में पीएमके, पश्चिम बंगाल में आरएसपी और मिजोरम में एमपीसी को दी गई राज्य पार्टी का दर्जा भी रद्द कर दिया है।

अब देश में केवल छह राष्ट्रीय दल...

देश में अब केवल छह राष्ट्रीय दल ही बचे हैं। बहुदलीय संसदीय प्रणाली वाले देश में अब भारतीय जनता पार्टी, इंडियन नेशनल कांग्रेस, सीपीएम, बहुजन समाज पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अलावा नई मान्यता वाली आम आदमी पार्टी ही राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

राष्ट्रीय पार्टी का क्या है नियम?

एक राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए कई अर्हता पूरी करनी होती है। राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता के लिए पार्टी को चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी होना चाहिए यानी कम से कम चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में छह प्रतिशत वोट शेयर होना चाहिए। या लोकसभा में कम से कम दो प्रतिशत सीटें होनी चाहिए। अगर कोई राष्ट्रीय दल अपनी मान्यता खो देती है तो उसे दूसरे राज्य में कैंडिडेट्स के लिए सामान्य चुनाव चिह्न आवंटित नहीं होगा। जैसे, अगर तृणमूल कांग्रेस का कैंडिडेट अब अगर चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें कर्नाटक में चुनाव के लिए उनका सिंबल नहीं मिलेगा जोकि पश्चिम बंगाल में मिला हुआ है।

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