गंगा भी होगी स्वच्छ-निर्मल, दुनिया की जैव विविधता संरक्षण वाली UN की 10 ग्राउंड ब्रेकिंग इनिशिएटिव में शामिल

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2030 के 134,000 हेक्टेयर के लक्ष्य के साथ अब तक 30,000 हेक्टेयर वनीकरण हो चुका है। इसके अलावा वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप्स में ट्रिनेशनल अटलांटिक फ़ॉरेस्ट पैक्ट शामिल है।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 13, 2022 7:42 PM IST / Updated: Dec 14 2022, 01:13 AM IST

COP15: पृथ्वी पर प्राकृतिक स्रोतों को बचाने या पुनर्जीवित करे के साथ साथ जैव विविधता संरक्षण के लिए दुनिया के 196 देश एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के अगुवाई में पर्यावरण व जैव संरक्षण की पहल हो रही है। मानव सभ्यता को बचाने की पहल वाली संयुक्त राष्ट्र की इको सिस्टम संरक्षण परियोजना के लिए गंगा नदी को भी दुनिया भर से मान्यता प्राप्त 10 ग्राउंड ब्रेकिंग प्रयासों में शामिल किया गया है। इस फ्लैगशिप के बाद गंगा नदी के संरक्षण एवं जैव विविधता को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रमोशन, कंसल्टेंसी और डोनेशन प्राप्त हो सकेगा। इस परियोजना का उद्देश्य भारत की पवित्र गंगा नदी के हेल्थ में सुधार करना है। 

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (COP15) के दौरान मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की गई। इसमें दुनिया भर से मान्यता प्राप्त दस ग्राउंड ब्रेकिंग प्रयासों में गंगा की सफाई और उसके जैव विविधता के संरक्षण के प्रयासों को शामिल किया गया है। इस प्रोजेक्ट को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के कोआर्डिनेशन में इको-सिस्टम को रेस्टोर करने के लिए लांच किया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यह पृथ्वी के प्राकृतिक स्थानों के क्षरण को रोकने और उसे पुन: पूर्व की भांति प्राकृतिक स्थिति में करने के लिए बनाया गया है।

गंगा की प्राकृतिक स्थिति को बहाल करने के अलावा भी अन्य कई प्रोजेक्ट

यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रकृति और जैव विविधता को सबसे अधिक नुकसान प्रदूषण, कचरा आदि ने पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि गंगा नदी कायाकल्प परियोजना में गंगा नदी के प्राकृतिक अवस्था को बहाल करने, प्रदूषण कम करने, वन क्षेत्र के पुनर्निर्माण करने का प्रयास किया जाएगा। इससे गंगा नदी के किनारे बसे करीब 520 मिलियन लोगों को लाभ हो सकेगा। यूएन ने कहा कि हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक 2525 किलोमीटर लंबी गंगा नदी का डिग्रेडेशन जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या, औद्योगिकीकरण और सिंचाई की वजह से हुआ। इस परियोजना का उद्देश्य प्रमुख वन्यजीव प्रजातियों को पुनर्जीवित करना है जिनमें नदी डॉल्फ़िन, सॉफ़्टशेल कछुए, ऊदबिलाव और हिलसा शाद मछली शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2014 में शुरू की गई सरकार की अगुवाई वाली नमामि गंगे प्रोजेक्ट से गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प, संरक्षण हुआ है। गंगा बेसिन के कुछ हिस्सों को पुनर्जीवित किया गया है जिससे यहां टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिल रहा।

रिपोर्ट के अनुसार नमामि गंगा प्रोजेक्ट में अब तक 4.25 बिलियन अमरीकी डालर तक का इन्वेस्टमेंट करीब 230 संगठनों ने मिलकर की है। इस इनिशिएटिव से 1500 किलोमीटर नदी की पुरानी स्थिति बहाल की जा चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2030 के 134,000 हेक्टेयर के लक्ष्य के साथ अब तक 30,000 हेक्टेयर वनीकरण हो चुका है।

इन क्षेत्रों को हरा भरा कर पुरानी पहचान लौटाई जाएगी

वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप्स में ट्रिनेशनल अटलांटिक फ़ॉरेस्ट पैक्ट शामिल है। इसका उद्देश्य ब्राजील, पैराग्वे और अर्जेंटीना में वनों को सरंक्षित और प्राकृतिक स्थिति को बहाल करना है। साथ ही अबू धाबी मरीन रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट भी पास जंगल की रक्षा करना और उसे पुनर्स्थापित करना है। अबू धाबी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी डगोंग आबादी की सुरक्षा कर रहा है।

इसके अलावा द ग्रेट ग्रीन वॉल फॉर रेस्टोरेशन और पीस इनिशिएटिव के अंतर्गत पूरे अफ्रीका में सवाना घास के मैदानों और खेतों को बहाल करने पर सहमति बनी है। इसके अलावा मल्टी-कंट्री माउंटेन इनिशिएटिव में सर्बिया, किर्गिस्तान, युगांडा, रवांडा क्षेत्र का विकास किया जाएगा। स्मॉल आइलैंड डेवलपिंग रेस्टोरेशन के लिए  वानुअतु, सेंट लूसिया और कोमोरोस पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस लिस्ट में शामिल अन्य प्रोजेक्ट्स में कज़ाख्स्तान के स्टेपी, सेंटल अमेरिकन ड्राई कॉरिडोर, और चीन की शान-शुई पहल हैं।

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