भारत के स्वर्णिंम इतिहास मे 26 जुलाई का दिन बेहद खास है। 26 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिकों ने कारिगल की दुर्गम चोटियों पर पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर ला दिया था और हजारों फीट के ऊंचाई पर तिरंगा लहराया था।
Kargil Vijay Diwas 2023.26 जुलाई का दिन भारत के इतिहास के लिए बेहद खास है। यह दिन भारतीय सेना के वीर और जांबाज सैनिकों को समर्पित है। यह वही दिन है जब इंडियन आर्मी ने शौर्य का परिचय देते हुए कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर पाकिस्तानी सेना को पराजित कर हजारों फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराया था। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह भारत को पाकिस्तान की नापाक हरकत के बारे में पता चला और किस तरह भारतीय सेना ने पाकिस्तान को वापस खदेड़ा।
सेना को चरवाहे ने दी थी घुसपैठ की जानकारी
बताया जाता है कि 3 मई 1999 से 15 मई 1999 के बीच भारतीय सेना को ताशी नामग्याल नाम के चारवाहे ने कारगिल में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ के बारे में जानकारी दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 600 से 800 घुसपैठियों ने एलओसी पार कर कारगिल में कब्जा कर अपना ठिकाना बना लिया। जैसे ही ये जानकारी इंडियन आर्मी को मिली उसके बाद 25 मई 1999 को भारतीय सैनिकों को कश्मीर के लिए रवाना किया गया। 26 मई को भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों पर हमले करने शुरू कर दिए। इसमें वायु सेना की भी मदद ली गई।
31 मई 1999 को हुआ युद्ध का ऐलान
कारगिल की दुर्गम चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों के कब्जे के बाद 31 मई 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया। जिसके बाद पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सैनिकों पर हमले शुरू कर दिए। 9 जून को बाल्टिक क्षेत्र की दो अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमा लिया। 11 जून को भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान से बातचीत की रिकॉर्डिंग जारी की। जिसमें जिक्र किया गया था कि इस घुसपैठ के पीछे पाकिस्तान आर्मी का हाथ है।
15 जून को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कारगिल में जारी युद्ध को लेकर पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ से फोन पर बातचीत कर अपने सैनिकों को वापस लौटने का आदेश देने को कहा। इसी बीच अमेरिकी जनरल जिन्नी ने इस्लामाबाद का दौरा किया और नवाज शरीफ से सेना को पीछे लौटने का आदेश देने को कहा। इसके बाद 29 जून को इंडियन आर्मी ने सेना ने टाइगर हिल के नजदीक दो महत्वपूर्ण चौकियों पर फिर से कब्जा किया।
ये भी पढ़ें- Kargil Vijay Diwas 2023: जब भारतीय सैनिकों के सामने पाकिस्तान ने टेके घुटने, पढ़ें इंडियन आर्मी की पराक्रम की कहानी
4 जुलाई को टाइगर हिल पर भारतीय सैनिकों का कब्जा
2 जुलाई को भारतीय सेना ने कारगिल पर तीनों ओर से चढ़ाई कर दी। जिसके बाद भारतीय सेना ने 4 जुलाई को टाइगर हिल पर अपना कब्जा जमा लिया और इसके बाद द्रास सेक्टर पर भी भारतीय सेना ने तिरंगा लहराया। टाइगर हिल पर कब्जे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने वॉशिंगटन डीसी में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की और फिर से सेना को वापस बुलाने के लिए कहा जिस पर नवाज शरीफ ने टेलीविजन के जरिए पाकिस्तान की आवाम को संबोधित किया और सेना को वापस बुलाने की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का प्रस्ताव भी रखा।
14 जुलाई को 'ऑपरेशन विजय' हुआ सफल
14 जुलाई 1999 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने 'ऑपरेशन विजय' को सक्सेसफुल बताया और इसके बाद 26 जुलाई के दिन कारगिल युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हुआ। लगभग 2 महीने से ज्यादा वक्त तक चली जंग में भारत ने जीत अवश्य हासिल की हो लेकिन युद्ध के दौरान 562 जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर देश की शान पर आंच नहीं आने दी। बता दे कारगिल की जंग दुनिया की सबसे ऊंचे और दुर्गम इलाकों में लड़ी जाने वाली जंगों में से एक है और हर साल 26 जुलाई को हम कारगिल युद्ध के दौरान प्राण गंवाने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 'कारगिल विजय दिवस मनाते हैं।