मुजफ्फरनगर की एक फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एक महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पति को 2000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे। बता दें कि महिला भारतीय सेना से रिटायर कर्मी हैं, जबकि उसके पति चाय बेचने का काम करते हैं।
मुजफ्फरनगर. आपने कईं उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों में सुना होगा कि पति, पत्नी को गुजारा भत्ता देगा। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा कोई फैसला सुना है जिसमें पत्नी, अपने पति को हर महीने गुजारा भत्ता देगी। दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। मुजफ्फरनगर की एक फैमिली कोर्ट ने ऐसा ही फैसला सुनाते हुए एक महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पति को 2000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे। बता दें कि महिला भारतीय सेना से रिटायर कर्मी हैं, जबकि उसके पति चाय बेचने का काम करते हैं।
मनमुटाव होने पर हुए थे अलग
मुजफ्फरनगर जिले के किशोरी लाल सोहंकार खतौली क्षेत्र में चाय बेचते हैं। उनकी शादी 30 साल पहले कानपुर की मुन्नी देवी से हुई थी। उनकी पत्नी भारतीय सेना में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी रह चुकीं हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्हें 12 हजार रुपए पेंशन मिलती है। आज से करीब 10 साल पहले मनमुटाव होने पर दोनों अलग रहने लगे। 2013 में किशोरी लाला ने गुजारा भत्ता पाने के लिए फैमिली कोर्ट में केस किया था। किशोरी के मुताबिक, वे अब काम करने में सक्षम नहीं हैं इसलिए गुजारे भत्ते की मांग कर रहे हैं।
किशोरी ने कहा- पत्नी की पेंशन का एक तिहाई हिस्सा मिलना चाहिए
कोर्ट ने मुन्नी देवी को पेंशन में से हर महीने 2 हजार रुपए पति को गुजारा भत्ता देने को कहा है। हालांकि, पति किशोरी लाल कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि पत्नी की पेंशन का एक तिहाई हिस्सा उन्हें मिलना चाहिए था। किशोरी ने कहा, "मैं 7 साल से केस लड़ रहा था। जितने रुपए कोर्ट ने देने के आदेश दिए हैं, उतने मेरे इलाज पर ही खर्च हो जाएंगे।