वीर सावरकर को लेकर आखिर क्या बोल गए राहुल गांधी जिससे मचा बवाल, जानें क्या है पूरा घटनाक्रम

राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। इसी दौरान बीते मंगलवार को उन्होंने महाराष्ट्र के वाशिम में आयोजित एक रैली के दौरान वीर सावरकर को लेकर कुछ ऐसा कह दिया, जिससे बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठन भड़क उठे। आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला?

Ganesh Mishra | Published : Nov 18, 2022 10:03 AM IST / Updated: Nov 18 2022, 03:41 PM IST

Rahul Gandhi on Veer Savarkar: राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। इसी दौरान बीते मंगलवार को उन्होंने महाराष्ट्र के वाशिम में आयोजित एक रैली के दौरान वीर सावरकर (Veer Savarkar) को लेकर कुछ ऐसा कह दिया, जिससे बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठन भड़क उठे। एक तरफ जहां, बीजेपी नेता राहुल गांधी के बयान पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो दूसरी ओर वीर सावरकर के पोते रणजीत ने राहुल गांधी के खिलाफ मुंबई के शिवाजी पार्क थाने में  शिकायत दर्ज कराते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। आखिर राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर ऐसा क्या कहा, जिसके चलते विवाद खड़ा हो गया। आइए जानते हैं। 

आखिर वीर सावरकर को लेकर क्या बोले राहुल गांधी?
दरअसल, 17 नवंबर, 2022 को बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर राहुल गांधी ने आदिवासी समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि एक तरफ बिरसा मुंडा जैसी महान शख्सियत हैं, जो अंग्रेजों के सामने कभी नहीं झुके तो दूसरी तरफ सावरकर हैं, जिन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी। अंग्रेजों ने उन्हें दो-तीन साल अंडमान की जेल में बंद कर दिया तो उन्होंने चिट्ठी लिखकर अंग्रेजों से कहा कि हमें माफ कर दो। इतना ही नहीं, वे अंग्रेजों से पेंशन भी लेते थे। 

राहुल गांधी के बयान के बाद क्या-क्या हुआ?
1- उद्धव ठाकरे ने राहुल के बयान से किया किनारा : 
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी के बयान से किनारा कर लिया। उद्धव ने कहा कि उनकी पार्टी वीर सावरकर का सम्मान करती है। हमारे मन में उनके लिए जो विश्वास है, उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी से हम बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। 

2- शिंदे गुट ने राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज कराया केस : 
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी बालासाहेबची शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से वंदना सुहास डोंगरे ने राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को बदनाम करने और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला दर्ज कराया। 

3-  BJP ने पलटवार करते हुए नेहरू को बताया माफीवीर : 
राहुल गांधी के सावरकर पर दिए गए बयान के बाद बीजेपी ने उन्हें चौतरफा घेरना शुरू कर दिया। महाराष्ट्र बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के अलावा बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधा। इसके साथ ही बीजेपी ने नेहरू को लेकर कई ट्वीट किए और उन्हें माफीवीर कहा। 


4- विवाद बढ़ा तो राहुल ने दिखाई सावरकर की चिट्ठी : 
सावरकर पर दिए बयान पर जब राहुल गांधी चौतरफा निशाने पर आए तो उन्होंने गुरुवार को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही मीडिया के सामने एक चिट्टी दिखाई। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि उन्होंने जो कुछ कहा है वो पक्के सबूतों के साथ बोला है। राहुल ने कहा कि ये वही चिट्ठी है, जो सावरकर ने अंग्रेजों को लिखी थी। आप चाहें तो इसे पढ़ सकते हैं।  

कौन थे वीर सावरकर?
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपने विचारों और देशभक्ति से स्वतंत्रता की एक नई अलख लगाने वाले क्रांतिकारी और हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र में नासिक जिले के भागपुर में हुआ था। सावरकर के क्रांतिकारी विचारों से डर कर अंग्रेजों ने उन पर बेहद जुल्म किए। यहां तक कि नासिक के कलेक्टर की हत्या के आरोप में अंग्रेजों ने 1911 में सावरकर को काला पानी की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल में कैद कर दिया गया। सावरकर को उनकी किताब 'हिंदुत्व: हिंदू कौन है' के लिए भी जाना जाता है। इसमें उन्होंने अखंड भारत को एक सूत्र में पिरोने की बात कही है।  

अंडमान जेल में दीवारों पर लिखी कविताएं : 
वीर सावरकर ने अंडमान जेल में कालापानी की सजा काटते हुए पत्थर के टुकड़ों और नाखूनों से जेल की दीवारों पर न सिर्फ कविताएं लिखीं बल्कि उन्हें कंठस्थ भी किया। सावरकर की रिहाई के लिए बाल गंगाधर तिलक, के.वी. रंगास्वामी अय्यंगर और महात्मा गांधी जैसे कई नेताओं ने अंग्रेजों को पत्र लिखे और भरोसा दिलाया कि सावरकर की भारत में मौजूदगी से किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं होगा। इसके बाद 2 मई, 1921 को उन्हें अंडमान की सेल्युलर जेल से रिहा कर दिया गया। 

सावरकर की रिहाई को माफीनामे से जोड़ती है कांग्रेस : 
वीर सावरकर की अंडमान जेल से रिहाई को कांग्रेस उनके माफीनामे से जोड़ती है। कांग्रेस हमेशा से ये आरोप लगाती रही है कि सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफी मांगी, जिसके चलते उन्हें रिहा किया गया। जबकि काले पानी की सजा काट रहे सावरकर को इस बात का अंदाजा हो गया था कि सेल्युलर जेल में 50 साल की लंबी जिंदगी काटने से पहले की उनकी मौत हो जाएगी। ऐसे में देश को स्वतंत्र कराने का उनका सपना अधूरा ही रह जाएगा। ऐसे में एक रणनीति के तहत उन्होंने अंग्रेजो से रिहाई के लिए चिट्टी लिखी थी, इसी को आधार बनाकर कांग्रेस उन्हें 'माफीवीर' कहती है। 26 फरवरी 1966 को 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। 

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