क्या है श्वेत पत्र? एक दिन बढ़ा बजट सत्र, UPA सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन को जनता से सामने लाएगी सरकार

केंद्र सरकार श्वेत पत्र लाने जा रही है। इसमें UPA सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही बताया जाएगा कि सरकार सही फैसले करती तो कितना लाभ होता।

 

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र सरकार विपक्ष को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। इसी क्रम में सरकार इस वक्त चल रहे बजट सत्र में श्वेत पत्र लाने जा रही है। इसके लिए सत्र को एक दिन आगे बढ़ाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा यूपीए की सरकार के दौरान किए गए आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र पेश करने की उम्मीद है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार “श्वेत पत्र भारत की आर्थिक पीड़ा और अर्थव्यवस्था पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताएगा। इसके साथ ही यह भी बताया जाएगा कि अगर उस समय रचनात्मक कार्रवाई की जाती तो इसका देश को कितना फायदा होता।

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पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देंगे। सत्र को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। इस दौरान सेवानिवृत्त होने वाले 56 राज्यसभा सदस्यों को विदाई दी जाएगी। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही संसद में एक श्वेत पत्र पेश करने वाली है।

सीतारमण ने कहा था हमने 10 साल खो दिए
सीतारमण ने कहा था कि पिछली सरकार ने जो अनैतिक काम किए उन्हें श्वेत पत्र में बताया जाएगा। इसके साथ ही यह भी बताया जाएगा कि सरकार सही फैसले लेती तो अर्थव्यवस्था को कितना लाभ होता। मंत्री ने कहा था, "हमने 10 अद्भुत साल खो दिए। खानों से लेकर बैंकों तक, अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में समस्याएं थीं।"

वित्त मंत्री ने कहा था कि सरकार पहले श्वेत पत्र इसलिए लेकर नहीं क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि लोगों का उस पर और संस्थानों पर से विश्वास कम हो। पीएम ने सबसे पहले अर्थव्यवस्था को बहाल किया। यही वजह है कि पहले श्वेत पत्र नहीं लाया गया। 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा था कि श्वेत पत्र इस बात पर गौर करेगा कि देश 2014 में कहां था और अब कहां है।

क्या है श्वेत पत्र?

गौरतलब है कि श्वेत पत्र सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक तरह का आधिकारिक बयान है। इसमें किसी बड़े मुद्दे पर विस्तार से बात की जाती है। श्वेत पत्र को संसद के पटल पर रखा जाता है। आम तौर पर विपक्ष द्वारा सरकार के किसी कार्यक्रम को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की जाती है। यह मांग तब की जाती है जब विपक्ष को लगे कि सरकार सही जानकारी नहीं दे रही है। माना जाता है कि श्वेत पत्र में सिर्फ सच्चाई बताई जाएगी, हालांकि इसका कोई वैधानिक महत्व नहीं है।

क्या है श्वेत पत्र का इतिहास?
ब्रिटेन में 1922 में श्वेत पत्र की शुरुआत हुई थी। यूके के पीएम विंस्टन चर्चिल ने एक दंगे के बारे में जानकारी देने के लिए पहली बार संसद में श्वेत पत्र पेश किया था। श्वेत पत्र में किसी विषय के बारे में उपलब्ध जानकारी दी जाती है। इसे किसी भी विषय पर जारी किया जा सकता है। इसमें संबंधित विषय के बारे में सभी पहलुओं की जानकारी तथ्यों के साथ दी जाती है। सरकार ही नहीं, कंपनियों द्वारा भी श्वेत पत्र लाए जा सकते हैं।

सरकार क्यों ला रही श्वेत पत्र?
केंद्र में भाजपा की सरकार बने 10 साल हो गए हैं। ऐसे में सवाल है कि सरकार अब क्यों 10 साल पहले UPA सरकार के आर्थिक फैसलों पर श्वेत पत्र ला रही है? इसकी वजह लोकसभा चुनाव है। अप्रैल-मई 2024 में लोकसभा के 543 सदस्यों को चुनने के लिए आम चुनाव होने हैं। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होने वाला है।

कई अर्थशास्त्रियों के अनुसार वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड प्रभावशाली दिखता है। उम्मीद है कि देश अगले 3 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसी तरह तरक्की होती रही तो 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। दस साल पहले मौजूदा बाजार मूल्यों पर 1.9 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। अभी भारत की इकोनॉमी करीब 3.7 ट्रिलियन डॉलर की है। भारत अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया में 5वें स्थान पर है।

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