पायलट के जाने से कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान क्या होगा, एक्सपर्ट ने कहा, क्यों बिगड़ी गहलोत से बात

Published : Jul 14, 2020, 03:44 PM ISTUpdated : Jul 15, 2020, 11:53 AM IST
पायलट के जाने से कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान क्या होगा, एक्सपर्ट ने कहा, क्यों बिगड़ी गहलोत से बात

सार

सचिन पायलट को राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासारा को राजस्थान कांग्रेस  का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन अब आगे क्या? इन सवालों के जवाब जानने के लिए Asianet News ने राजस्थान की राजनीति को करीब से जानने वाले एक्सपर्ट अनिवाश कल्ला से बात की।

नई दिल्ली. सचिन पायलट को राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासारा को राजस्थान कांग्रेस  का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन अब आगे क्या? सचिन पायलट क्या करेंगे? वह अभी कांग्रेस में हैं, लेकिन पार्टी छोड़ते हैं तो उनके वैक्यूम से कांग्रेस को क्या और कहां नुकसान होगा? कांग्रेस उसे भरने के लिए क्या कोशिश करेगी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए Asianet News hindi ने राजस्थान की राजनीति को करीब से जानने वाले  एक्सपर्ट अनिवाश कल्ला से बात की। 


 
 

अब सचिन पायलट क्या कर सकते हैं?
सचिन पायलट खुद की पार्टी बना सकते हैं, जिसकी संभावना भी सबसे ज्यादा है।

अगर सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ देते हैं तो पार्टी को क्या और कहां नुकसान होगा?
देखिए, सचिन पायलट गुर्जर नेता हैं, लेकिन राजस्थान में उनकी छवि सिर्फ एक गुर्जर नेता की ही नहीं है। मैंने पिछले चुनाव में पूरे राजस्थान का दौरा किया, पूरे प्रदेश में उनकी लोकप्रियता एक गुर्जर नेता से कहीं बढ़कर दिखी। कांग्रेस एक बड़ा चेहरा खो रही है, जिसकी राजस्थान में ब्रैंड अपील है। अगर पूरे प्रदेश में देखें तो राजस्थान में तीन बड़े नेता हैं, अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे और सचिन पायलट।  

क्या राजस्थान कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह, सचिन पायलट के वैक्यूम को भर पाएंगे?
मुझे नहीं लगता। गोविंद सिंह एक बहुत ही मुखर युवा नेता हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या उनकी मास अपील है। प्रदेश अध्यक्ष किसी ऐसे आदमी को बनाते हैं जिसकी मास अपील हो। यह (गोविंद सिंह) सीकर से आते हैं, जहां पर इनकी लोकप्रियता है लेकिन सीकर से बाहर बहुत कम।

अगर पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तो राजस्थान में जातिगत आधार पर कांग्रेस को क्या घाटा होगा ? 
गोविंद सिंह की संगठन में बहुत बड़ी पकड़ नहीं है। वह जाट हैं लेकिन बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है। सचिन पायलट गुर्जर नेता हैं। पूर्वी राजस्थान से इस बार सचिन पायलट (कांग्रेस) लड़े। यहां से करीब 49 सीट आती है। कांग्रेस  ने 42 सीट जीती। वजह थी, गुर्जर मीणा गठजोड़। तो जाति के हिसाब से यह एक बड़ा घाटा है। दूसरे नेताओं के लिए इस गैप को भर पाना मुश्किल है। 

पायलट और गहलोत में विवाद तो था, लेकिन पिछले एक महीने में ऐसा क्या हुआ कि अब सचिन पूरी तरह से अड़ गए?
राजस्थान में जो कुछ हो रहा है, वह अचानक से नहीं बढ़ा। जिस दिन सरकार बनी उसी दिन से विवाद शुरू हो गया था। बस धीरे-धीरे धक्का लगाया जा रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स में आया था कि सचिन पायलट से  6 महीने के अंदर सीएम बनाने का वादा किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

 

PREV

Recommended Stories

'ये अयोध्या नहीं जो बाबरी को कोई हाथ लगा दे', हुमायूं कबीर ने फिर उगला जहर
हिजाब विवाद: Giriraj Singh और Mehbooba Mufti में सियासी जंग!