New Parliament Of India: कौन थे वीर सावरकर? जिनकी जयंती पर हो रहा नए संसद भवन का उद्घाटन, क्या है उनके चित्र से जुड़ा विवाद

नए संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन 28 मई 2023 को होगा और यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा। 28 मई से एक और भी इतिहास जुड़ा हुआ है। यह किसी और से नहीं बल्कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से जुड़ा इतिहास है।

Manoj Kumar | Published : May 26, 2023 6:48 AM IST / Updated: May 28 2023, 06:39 AM IST

New Parliament Building. नया संसद भवन 28 मई 2023 को देशवासियों को समर्पित हो जाएगा। यह दिन आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बना जाएगा और भारतीय इतिहास के पन्ने में 28 मई बेहद खास दिन बन जाएगा। मगर, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 28 मई को ही स्वातंत्र्य वीर सावरकार की जन्म जयंती भी है। वीर सावरकर की जयंती के अवसर पर ही नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले पुराने संसद भवन में वीर सावरकर का तैल चित्र लगाने को लेकर विवाद हो चुका है।

28 मई 1883 को हुआ था वीर सावरकर का जन्म

आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर वीर सावरकर कौन थे। सावरकर का जन्म 28 मई 1833 को महाराष्ट्र के नासिक में भगूर गांव में हुआ था। वे प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। वीर सावरकर ने ही राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीज धर्म चक्र लगाने का सुझाव सबसे पहले दिया था, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस सुझाव को माना भी था। वीर सावरकर ने ही सबसे पहले पूर्ण स्वराज्य का नारा बुलंद किया था। वे ऐसे प्रथम राजनैतिक बंदी थे जिन्हें फ्रांस की धरती पर बंदी बनाया गया है और यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट तक पहुंचा था।

वीर सावरकर ने जेल की दीवारों पर कोयले और कील से लिखी कविताएं

वीर सावरकर दुनिया के पहले ऐसे कवि थे जिन्होंने अंडमान के कारावास के दौरान कील और कोयले से जेल की दीवारों पर कविताएं लिखीं। इन कविताओं को उन्होंने याद किया और जेल से रिहा होने के बाद 10 हजार पंक्तियों को फिर से लिखा। सावरकर ने एक किताब लिखी जिसका नाम था- द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857। इस किताब ने अंग्रेजी हूकूमत को हिला दिया था। सावरकर दुनिया के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा दी गई। उनकी स्नातक तक की उपाधि को अंग्रेज सरकार ने छीन लिया था।

सावरकर ने पहली बार जलाई विदेशी कपड़ों की होली

वीर सावरकर पहले ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाई। उनकी दो-दो किताबों को विदेशों में भी प्रतिबंधित कर दिया गया। सावरकर ने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया। इसकी वजह से उनकी वकालत पर रोक लगा दी गई। वीर सावरकर का 26 फरवरी 1966 को निधन हो गया।

पुराने भवन में सावरकर के तैल चित्र को लेकर हुआ था बवाल

साल 2003 में अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार थी और एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति थे। तब राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में वीर सावरकर के तैल चित्र का अनावरण किया था। उस दौरान विपक्षी सदस्यों ने उस समारोह का बहिष्कार किया था। तब तत्कालीन उप-राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, राज्यसभा की उप सभापति नजमा हेपतुल्ला, वित्त मंत्री जसवंत सिंह, संसदीय कार्य मंत्री सुषमा स्वराज ने पुष्पांजलि अर्पित की थी।

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