तवांग पर आखिर क्यों कब्जा जमाना चाहता है चीन, सामने आ रहीं ये 5 बड़ी वजहें

चीन ने एक बार फिर भारतीय सीमा में जबरन घुसपैठ की कोशिश की। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में स्थित यांगत्से के पास भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की, जिसका भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। आखिर क्या हैं वो वजहें जिनके चलते तवांग पर कब्जा करना चाहता है चीन, आइए जानते हैं।

India-China Border Dispute: चीन ने एक बार फिर भारतीय सीमा में जबरन घुसपैठ की कोशिश की। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में स्थित यांगत्से के पास भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की, जिसका भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प में जहां भारत के 6 सैनिक घायल हुए वहीं चीन के दर्जनभर से ज्यादा जवानों की हड्डियां टूट गईं। बता दें कि यांगत्‍से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर तवांग का वह हिस्‍सा है, जिस पर चीन 1962 के युद्ध के बाद से ही कब्जा करना चाहता है। आखिर क्या हैं वो वजहें जिनके चलते तवांग पर कब्जा करना चाहता है चीन, आइए जानते हैं।

Latest Videos

वजह नंबर 1 - भारतीय सेना के लिए रणनीतिक अहमियत
यांगत्‍से, तवांग से 35 किलोमीटर दूर नॉर्थ-ईस्ट में स्थित है। यांगत्‍से, सर्दी के दिनों में कई महीनों तक बर्फ से ढंका रहता है। यह जगह भारतीय सेना के लिए काफी मायने रखती है। भारत इस इलाके में सैनिकों के साथ ही ड्रोन से भी नजर रखता है। इसके साथ ही दोनों तरफ से सड़क नेटवर्क भी है। यांगत्‍से ही वो जगह है, जहां से चीन पूरे तिब्‍बत पर नजर रख सकता है। साथ ही उसे LAC पर भी नजर रखने में आसानी रहेगी। 

वजह नंबर 2 - तवांग से पूरे अरुणाचल पर नजर रखना आसान 
तवांग अरुणाचल प्रदेश में करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। तवांग वो जगह है, जहां से एलएसी के साथ ही पूरे अरुणाचल प्रदेश पर नजर रखी जा सकती है। चीन की नजरें 1962 की जंग के बाद से ही तवांग पर हैं। चीन बॉर्डर के नजदीक ही पिछले कई सालों से लगातार निर्माण कार्य कर रहा है। 

वजह नंबर 3 - LAC पार करने का सबसे मुख्य प्वाइंट है तवांग 
चीन इसलिए भी तवांग को हथियाना चाहता है, क्योंकि भारत-चीन के बीच स्थित LAC को पार करने के दो सबसे मुख्य प्वाइंट में से तवांग भी एक है। तवांग चीन और भूटान के बॉर्डर के पास ही है। यहां से चीन अरुणाचल प्रदेश के अलावा पूरे तिब्बत की आसानी से जासूसी कर सकता है। 

वजह नंबर 4 - दलाई लामा की वजह से तवांग बना वर्चस्व की लड़ाई 
तवांग ही वो जगह है, जहां तिब्‍बती धर्म गुरु दलाई लामा सबसे पहले पहुंचे थे। अप्रैल 2017 में जब दलाई लामा कई साल के बाद तवांग पहुंचे थे तो चीन भड़क गया था। चीन दलाई लामा को अलगाववादी नेता मानता है। 1959 में तिब्बत से निर्वासित होने के बाद दलाईलामा ने तवांग में ही कुछ दिन गुजारे थे। ऐसे में तवांग पर कब्जा करना चीन के लिए एक तरह से वर्चस्व की लड़ाई भी है।

वजह नंबर 5 - तिब्बत पर कब्जा करने के लिए तवांग सबसे जरूरी
जुलाई, 2022 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुपचुप तरीके से तवांग के पास स्थित न्यिंगची पहुंचे थे। जिनपिंग चीन के पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने न्यिंगची का दौरा किया था। न्यिंगची, तिब्‍बत का शहर और अरुणाचल प्रदेश के बेहद करीब है। ऐस में चीन की नजर इसलिए भी तवांग पर रहती है, क्योंकि इस पर कब्जा करके वो आराम से तिब्‍बत को हथिया सकता है।  

ये भी देखें : 

क्या चीन परखना चाहता है भारत की ताकत और तैयारी, अलग-अलग मौसम में हुई झड़पें दे रहीं इस बात का संकेत

Share this article
click me!

Latest Videos

CM योगी आदित्यनाथ ने गिना दिया बंटने से अब तक क्या-क्या हुआ नुकसान #Shorts
Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
Dehradun Car Accident: 13 दिन ली गई कार बनी 6 दोस्तों के लिए 'काल', सामने आया सबसे बड़ा सवाल
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
अब नहीं चलेगा मनमाना बुलडोजर, SC के ये 9 रूल फॉलो करना जरूरी । Supreme Court on Bulldozer Justice